Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तूफ़ानो की छाती पर

 

माना कि हमें
अपनी जहॉ ने
कैद नसीब का मालिक ,
बना दिया ,
सपने -अपने बोझ हो गए ,
बहारे दूर और दूर होती गयी ,
सांस भरने का आधार
अपने पास बस ,
कर्म -श्रम का औजार,
शेष रहा ,
बार-बार हार कर भी
हौशले से ,
जीतने की कोशिश में ,
टूट-टूट उठता रहा ,
भले ही अपनी जहॉ
मान ले ,हारा हुए हमें
हमने तूफ़ानो की छाती पर ,
हमारा नाम लिख दिया।

 

 

डॉ नन्द लाल भारती

 

 

 

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