चार मिस्ड कॉल देख कर दयानंद के कान कनकांये वह सारस्वत सम्मान के लिए मंच की और बढ़ने से पहले फोन घुमाया .
कहा हो ....सवाल बिजली सरीखे कड़का .....
उज्जैन.....
कैसे .....
छुट्टी पर .....
डाक्टर आफ फिलासफी का सारस्वत सम्मान लेने .
तुमने बिल क्यों भेज दिया .........?
भेजना था इसलिए .
क्यों .....
इंटर यूनिट के बिल थे .
दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा .
नहीं ...बिल्कुल सही किया हूँ .
तुमको काम कहाँ आता है सब गलत करते हो .
सही काम को गलत ठहरा कर पोस्ट मार्टम क्यों कर रहे है ..............?
दोबारा ऐसे काम करोगे तो अनर्थ हो जायेगा .लौट कर आओ तो बताता हूँ .
पलकें गीली देखकर डाक्टर आर के बोले क्या हुआ डाक्टर साहब ......?
बिग बॉस का फ़ोन थी .
बधाई दे रहे होगे .
नहीं ...पोस्ट मार्टम कर रहे थे .
शुभ अवसर पर पोस्ट मार्टम ..........
हमारे लिए है .विभाग बिग बॉस और स्टाफ के लिए नहीं
क्यों .........
दलित -पद दलित .
पद अस्थायी है कद की श्रेष्ठता तो स्थायी और सूरज सम्मान होती है .
इतने में मंच से घोषणा हो गयी पुरुषोत्तम जी डाक्टर आफ फिलासफी का सारस्वत सम्मान कुलपति महोदय से प्राप्त आये .डाक्टर आफ फिलासफी सारस्वत सम्मान पुरुषोत्तम को मिलते ही दफ्तर के अधिकारी अजनवी और बेगाने हो गए .पुरुषोत्तम की ख़ुशी से दुखी होकर
...डाँ नन्द लाल भारती
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