Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

उपहार

 

 

गुड मार्निंग । नया ‘ाहर कैसा लगा ?
जी गुड मार्निंग। शहर तो अच्छा है।आपके घर परिवार में सब कुशल मंगल ?
जी बिल्कुल सब मजे में है,बेटा इंजीनियर है बेटी दांतों की डांक्टर है,होम मिनिस्टर की देखरेख में सब कुशल मंगल है।
धरती के भगवान ।
जी नहीं समझा ।
मांता-पिता।
पिता गुजर गये हैं।मां मानसिक बीमारी की गिरफ्त में है।
ए तो तकलीफ की बात है।
कोई तकलीफ नहीं, हमारा परिवार अलग रहता है,मां को किराये के मकान में नौकर के सहारे छोड़ दिया हूं,कोई तकलीफ नहीं।
मां-बाप के ऋण से उऋण होने का ‘ाार्टकट ?
वृद्धाश्रम में तकलीफ होती ना।
मांता-पिता की सेवा का उपहार दूसरे हाथ मिलता है,काश ऐसा उपहार ना मिले प्रद्युम्न भाई, चैतन्य भाई बोले ।

 

 

डां नन्दलाल भारती

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ