Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वनवास

 

 

गम में क्यों दुखहरन…….?
चोली दामन का साथ बना दिया है नसीब के दुश्मनों ने इन्दर बाबू।
इतनी निराशा ……?
जहां स्व-जाति उत्थान के चक्रव्यूह रचे जा रहे हो नित नए-नए परजाति के दमन की साजिश हो तो वहाँ आशा कैसे जीवित रह सकेगी। आशा से मिला क्या पतझड़ सा भविष्य ,अछूत का दंशलूटी हुई नसीब और क्या इन्दर बाबू .
लोग सफल क्या हो जाते है जातीय अभिमान, पद-दौलत के गुमान का नंगा प्रदर्शन करने लगते है। कमजोर आदमी का खून पीने लगते है।
हाँ बाबू ऐसे हे लोगो ने तो मेरे सपनों को कब्रस्तान बना दिया है। स्व-जातीय गुट बनाकर अवैध को वैध कर सोने की दल काट रहे है और मैं ठगी नसीब का मालिक पद-दलित वनवास।
कैसे लोग है .
सामंती मुर्दाखोर इन्दर बाबू।

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

 

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