Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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विश्वासघात

 
लघुकथा :विश्वासघात
सुदर्शन क्या सुन रहा हूँ।
क्या सुने हो भैया ?
विश्वासघातियों को माफ कर दिये ।
माफ करना भी गुनाह होता है क्या ?
गुनाह कैसा ?तुमने तो गुनाहगारों को माफ कर दिया जो धोखे से विश्वासघात किये । पैलग कन्या को खानदान की बहू बना दिये।बेटा का टार्चर कर कर परिवार का विरोधी बना दिया, जेल भेजवाने की धमकी, सड़क पर नंगा कर बेइज्जत करने,तुम्हारे कत्ल के सुपारी का एलान का तोहफा  माफी ?
हमने वादा किया था बिना दहेज की शादी और बहू को बेटी समान दर्जा, हमने पूरा किया ।
बहूरूपिओ ने विश्वासघात...... देवनरायन बोले ।
जानता हूँ, नेकी बदले दहकता दर्द और अपमान,    बेटा के वियोग मे आंसू ,पागलों जैसी स्थिति ,इसके बाद भी विश्वासघातियों को माफ कर दिया तो कर दिया ।
इतने बड़े दर्द का जहर पीकर भी सुदर्शन ?
हां देवनरायन बाबू विश्वासघाती बहुरूपिओ ने अपने खानदान की परम्परा निभायी और हमने अपनी।
डां नन्द लाल भारती
22/07/2021

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