ये कैसा भैय्यपन
बड़े भैय्या सज्जन पुरुष थे। क्या जाति क्या परजाति,सभी के बीच उन्हें इज्ज़त मिलती थी।वे लोगों को इज्ज़त देना भी जानते थे।तीन भाईयों मे बड़े भैया सबसे बड़े थे बड़े होने के फर्ज पर फ़ना हो जाते थे। इतने सहृदय,सरल और सहज थे कि अपने ससुराल मे मिली अचल सम्पत्ति तक को भाईयों के नाम लिखा दिया। मझला करैत के स्वभाव का था रिटायर होने से पहले अलग हो गया । सब कुछ बटवा लिए पर अपनी कमाई की चवन्नी भी नहीं दिया । छोटा आर्थिक रुप से तंग तो था पर बड़े भैय्या की ससुराल मे मिली सम्पत्ति ससम्मान वापस कर दिया। करैत स्वभाव वाले मझले भाई ने रत्ती रत्ती बटवा लिया इसके बाद भी बड़े भैय्या और छोटे भाई को चैन से जीने नहीं दे रहा था।
आखिरकार चिन्ताग्रस्त बड़े भैय्या हार्ट अटैक के शिकार हो गए, मझला भाई मय्यत तो पर दूल्हे जैसा बन संवर कर,श्मशान से आते ही मझले भाई के घर मुर्गा और दारू की दावत हुई, उधर बड़े भैया और छोटे भाई के घर चूल्हे की ठण्डी राख तक सिसक रही थी ।
कहने वाले कह रहे थे एक थे बड़े भैया जो भैय्यपन के लिए जीवन भर मरते रहे एक हैं मझले भैया जो बड़े भैया की मौत का जश्न मना रहे.....भाई है कि भाई के वेष करैत ?
नन्द लाल भारती
09/02/2021
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY