सम्बन्धों की कहानी
सम्बन्धों के गांठ की
दास्तान है निराली
कभी प्यार कभी दुलार
कभी शीष,कभी पांव पर
हाथ
कभी कंधों पर शीष
कभी कदमों में शीष
कभी दुआ, कभी आशीष
कभी मांफी, कभी माफ
यही है
सम्बन्धों के तार
जहां भले हो ,
भूख और प्यास
बरसता है पर स्नेह
और दुलार
निश्छल है प्यार
सम्बन्धों की मजबूत हो
गांठ........
ना कोई हिला सकता
पहाड़ जैसे सम्बन्धों की दीवार
ना अफवाह ना तकरार
सम्बन्धों की रसमयी दुनिया में
घुसपैठिया कोई
भ्रम की नशीली गोलियां खिलाकर
अमृतमयी सम्बन्धो के मध्य
रच देता है चक्रव्यूह
छिन्न भिन्न हो जाती है
सपनों की दुनिया
खड़ा हो जाता है
नफरत का पाकिस्तान
खड़ा रहेगा अडिग
सम्बन्धों का मान
अद्भुत है सम्बन्धों की
सुगंध
खत्म होती नहीं कभी
आहे होती हैं अफवाहें
होती रहती हैं
जवां....जवां
बूढ़े रिश्ते भी रहते हैं
नवजवां
भले ही सीमा रेखा खींच गई हो
लहू के रिश्ते मरते नहीं कभी
लगते हैं जवां जवां
जहां मे आये हो अभी अभी
ना दो अपनेपन को ढाठी
मारो ना रिश्तों को
लहू के रिश्ते अद्भुत
ना हैं मरने वाले
भले ही गढ दो
मौत की कहानी
डीएनए भी कोई पहचान है
नहीं मरने देगा सम्बन्धों की
अमिट कहानी....
डां नन्द लाल भारती
05/11/2021
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