Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तथास्तु

 
तथास्तु ।
पड़ोसवाली बहू पुष्पा ने मन मोह लिया। मैंने तो आज मन्नत भारत मान लिया हे भगवान मुझे पुष्पा जैसी ही बहू देना  मिसेज चौधरी मिसेज सुरमा से बोली ।
कैसे और ऐसा क्या हुआ कि आपने  मन्नत भी मांग ली चौधरी भाभी मिसेज सुरमा बोली ।
अच्छे लोग हो या अच्छी चीज सभी की ख्वाहिश होती है। मेरी छोटी बहू पुष्पा जैसी मिल जाये तो सात जन्म की तपस्या पूरी हो जाये मिसेज़ चौधरी मगन होकर बोली ।
बहुत तारीफ कर रही हैं मिसेज सुरमा बाल झटकते हुए बोली।
सास-ससुर,दादा ससुर-दादी सास का इतना सम्मान करती है कि जैसे भगवान की पूजा।नौकरी करती है, सुबह आठ बजे जाती है शाम को छ:बजे आती है, सचमुच घर को मंदिर बना दिया है।आंख से टपकते मोती को रोकते हुए बोली।
सबका अपना-अपना नसीब मिसेज सुरमा इतराते हुए बोली।
हां भाभी गलती हमारी ही है, हमने भरोसा किया, बहू को बेटी का दर्जा दिया।आते ही अपनी विरासत सौंप दी।बहू ने दगा कर दिया। बेटा की कमाई से ठग बाप की दुनिया सजा रही है। हम हैं कि अपने ही जिगर के टुकड़े से बात करने को तरस जाते हैं,पोते को अंकवार में भरने का अधिकार छिन गया मिसेज चौधरी आंचल से आंख मसलते हुए बोली।
आजकल की ज्यादातर   लड़कियां पति के दिमाग और एटीएम पर कब्जा कर रही हैं और सास-ससुर को पिछवाड़े का कचरा समझ रही  है। ननद देवर को दुश्मन मान रही हैं मिसेज सुरमा बोली।
भाभी आप तो मेरी बडी बहू की बात कर रही हैं।
वही समझ लो ।चौधरी भाभी आपने पुष्पा का बखान कर मेरी भी ख्वाहिशें बढ़ा दी हैं मिसेज सुरमा बोली ।
पुष्पा है ही बखान करने लायक मिसेज चौधरी बोली।
भाभी बुरा नहीं मानना मुझे पुष्पा जैसी बहू मिले या न मिले पर आपके गनपुरिया समधी की  बेटी जैसी बेटी और आपकी महाठगिनी  बहू जैसी बहू सात जन्म तक ना मिले।
भाभी भगवान पहले आपकी ख्वाहिश पूरी करे बाद में मेरी मिसेज चौधरी हिचकियां लेते हुए बोली।
मिसेज सुरमा-मिसेज चौधरी को गिलास का पानी थमाते हुए बोली तथास्तु ।
नन्द लाल भारती

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