:विश्वास
दीदी बात हो गई?
अरे उर्मिला तू सावित्री पूछी ।
हां दीदी थोड़ा सी शक्कर मांगने आई थी पर अब चाय की तलब ना रही ।
पगली कैसी बात कर रही है । बैठ मैं बनाती हूँ।साथ मे बैठकर पीयेंगे चेहरे पर नकली मुस्कान का नकली लेप चढाते हुए सन्तोषी बोली।
रहने दो दी उर्मिला बोली।
दीदी से शक्कर मांगने आई थी,अब मेरे साथ चाय भी पीओ और शक्कर भी लेकर जाओ।
क्यों तकलीफ उठा रही हो दीदी।आप तो वैसे ही दुखी लग रही हो उर्मिला बोली।
क्या करें, बहू ने पूरे परिवार को दुख के दलदल मे ढकेल दिया है। सास-ससुर,ननद-देवर को दुश्मन मान बैठी है, पति का उत्पीड़न कर रही है।सप्ताह मे दो बार पुलिस बुला लेती है।कानून भी उसी का पक्षधर है, बेगुनाह बेटा और हमारा परिवार आंसू बहा रहा है। नन्हे से पोते को इतनी बुरी तरह मारती है शायद ऐसे तो सौतेली मां भी नहीं मारती होगी तीन -चार साल के नटखट को।
इतना बुरा बर्ताव क्यों कर रही है उर्मिला बोली ।
साइको है सन्तोषी बोली ।
शादी से पहले देखे नहीं थे क्या उर्मिला पूछी।
देखे थे तब तो सती सावित्री थी। मा- बाप भी नकली शराफत से असली देवता लग रहे थे।शादी के बाद बहू अपने असली कैकेयी वाले रुप मे आ गई, मां अपने जादूगरनी और बाप लूटेरे के असली वेष में ।बेटा को बात नहीं करने देती, बेटवा हम लोगों से बात कर लेगा तो उसका जीना हराम कर देगी, फोन पर पोता हां हूँ कर लिया तो उसका गाल लाल कर देगी ।
उर्मिला बहन मां हूँ ना मन है कि मानता ही नहीं फोन लगा लेती हूँ आंसू पोछते हुए सन्तोषी बोली।
बाप रे बहू है कि सुनामी। कहा की है उर्मिला पूछी।
कानपुर की है सन्तोषी आंचल से आंख रगड़ते हुए बोली।
कानपुर की लडकियों से कोई शादी नहीं करता।मेरे दादाजी मरने से पहले पिताजी को आगाह कर दिये थे कि मेरे पोतो की शादी कहीं और किसी भी जाति की लड़की से करना पर कानपुर की लड़की से नहीं करना उर्मिला बोली।
नहीं बहन कानपुर का क्या दोष तो अमानुष मां-बाप का है। एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। ऐसे ही हमारी बहू और उसके मां- बाप हैं।
दीदी आप लोग सात साल से पड़ोस में रहते हैं पर आज पता चला कि आप कितने बड़े दुख के पहाड़ के नीचे दबे हुए हैं उर्मिला बोली।
उर्मिला बहन हमें अपने सद्कर्म और समय पर विश्वास है एक दिन दर्द का पहाड़ जरूर करवट लेगा...... चाय पीओ ।
नन्द लाल भारती
24/07/2022
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