भारत पाक विभाजन एक विभीशिका ।
भारत-पाकिस्तान विभाजन की विभीशिका एक प्रलयकारी शणयन्त्र था जिसकी आंच आज भी महसूस की जा सकती है। लीथ एण्डरसन के लेख के अनुसार सिर्फ 7दिनों में 6लाख लोग इस विभीशिका में मारे गये । पन्द्रह अगस्त के तीन महीना पहले और दो महने बाद इस विध्वंस ने लगभग 12 लाख लोगों को ली लिया। सम्भवत इतिहास में किसी खूनी क्रान्ति में इतने लोग नही मारे गये होगे।
विभाजन की ऐसी भयावह आग थी कि दस लाख से अधिक पंजाब और बंगाल के लोग पाकिस्तान से जिन्दा नही आ पाये। हिन्दू-सिक्खों की सामूहिक हत्या हुई,उनकी अरबो की सम्पति नश्ट कर दी गयी। सामूहिक हत्या के साथ लाखों महिलाओं की अस्मत लूटी गयी। पढने और सुनने में आता है कि लाषों से भरी एक ट्रेन लाहौर जाती और दूसरी लाषे भरी भारत पहुंच आती। आमनुशता की हद देखिये इन ट्रेनो पर लिखा होता था । प्रजेण्ट फ्राम पाकिस्तान / च्तमेमदज तिवउ च्ांपेजंद जो अमानुशता की हद आज भी दहक रही है।
विभाजन की भयावह त्रासदी की खूनी दास्तान सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते है। कितना भयावह दृष्य रहा होगा जब एक पिता पाकिस्तानी पापियों से अपनी बेटियों की आबरू बचाने के लिये स्वयं ही मार दिये। कई मां-बाप ने तो अपने रोते- बिलखते बच्चों को पाकिस्तानी दरिन्दों की दहष्त से कुओं में फेंक दिये। लाखों करोड़ो हिन्दू-सिक्ख भूखे प्यासे तड़पते हुए भारत पहुंचे थे।
इस विध्वंस का कोई अंग्रेज अफसर जिम्मेदार था तो वह था बाउण्ड्री-कमीषन का चेयरमैन रेडक्लिफ। भारत पाक सीमा तय करने का उत्तरदायित्व बाउण्ड्री-कमीषन के चेयरमैन रेडक्लिफ के उपर था। इस अंग्रेज चेयरमैन ने आखिरी दिन तक गुप्त रखा था जिसकी वजह से लोग भ्रमित थे किसी को पता ही नहीं था कि कौन कहां जायेगा। बहुत से लोग भ्रम के षिकार थे, लोगों का षायद यह भ्रम था कि दो चार दिन बाद अपने-अपने घरों को लौट आएगे। चेयरमैन रेडक्लिफ की इसी गुप्त नीति ने सर्वनाष कर दिया।पंजाब के वर्तमान जिले गुरूदासपुर और पठानकोट तीन दिन तक पाकिस्तान के हिस्से रहे,भला हो जस्टिस मोहम्मद महाजन का जिन्होंने अन्तिम समय में गुरूदासपुर और पठानकोट भारत को सौंप दिये।
आजादी के दिन भारत-पाकिस्तान विभीशिका दिवस मनाने का निर्णय वर्तमान पीढी को आजादी की कीमत बताने का सरकार का साहसिक प्रयास है। वर्तमान पीढी को यह जानना भी चाहिये । सच कहा है आजादी बलिदान मांगती है,इस दृश्टि से सुभाश चन्द्र बोस का ऐतिहासिक नारा- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा बिल्कुल सटीक बैठता है।
आजादी आसानी से नही मिली है। लाखों करोड़ों देषभक्तों-मूल निवासी भारतीयों ने बलिदान दिया है।अंग्रेजो की यातनायें सहे हैं । फांसी के फंदे तक को गले लगाये । दुर्भाग्यवष वही आजादी विखण्डित हो गयी ।आज भी सब कुछ कितना डरावना लगता है। भारत पाक विभाजन के विध्वंस का जहर आज भी यदाकदा दिखाई पड़ जाता है। भारत पाक विभाजन विभीशिका के बारे में संक्षिप्त में कहा जाये तो ये निम्न बाते उभर कर सामने आती है।
§ विभीशिका का स्मरण भारत- पाक विभाजन की याद दिलाता रहेगा ।
§ विभाजन की स्थिति इतनी भयावह थी कि दस लाख से अधिक लोगों ने जाने गवाई । दो करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए ।
§ भारत पाक विभाजन की मांग मोहम्मद अली जिन्ना ने की थी ।
§ भारत पाकिस्तान विभाजन का वर्णन भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 1947 में भी उल्ल्ेखित है।
§ विभाजन तत्कालीन वायसराय लार्ड माउण्टबेटन की देखरेख में हुआ था,इसलिये इसे माउण्टबेटन योजना भी कहा जाता है।
§ भारत पाक विभाजन की योजना सर सिरिल रेडक्लिफ द्वारा बनायी गयी थी।
§ अखण्ड भारत को विखण्डित कर एक नया नया मुस्लिम राश्ट्र पाकिस्तान बनाया गया।
§ साम्प्रदायिक विभाजन ने विस्थापन से पूर्व नये राश्ट्र निर्माण ने दंगे भड़का दिये।
§ भारत पाकिस्तान विभाजन अंग्रेजो की कूटनीति-फूट डालो,राज करो की नीति का विध्वंसक नतीजा था ।
§ 15 अगस्त को भारत और 14 अगस्त को पाकिस्तान में स्वतन्त्रता दिवस मनाया जाता है।
भारत पाक विभाजन को विस्तृत रूप से समझने के लिये-राम मनोहर लोहिया की पुस्तक- दि गिल्टी मैन आफ पार्टीषन या भारत में बिट्रिष राज्य के अन्तिम दिन पढा जा सकता है। जिसको पढने पर पता चलेगा कि आजादी की कीमत कितनी भयावह थी। तभी तो पष्चाताप करते हुए जवाहर लाल नेहरू ने कहा था-हमें पता होता कि आजादी की प्राप्ति इतनी भयावह होगी,इतनी जानें इस आजादी में जायेगी तो हम यह आजादी कभी न लेते।
सोचिये उस वक्त विभाजन की विभीशिका कितनी डरावनी रही होगी। आज की पीढी को विभाजन की विभीशिका को समझने की जरूरत है। सरकार विभाजन की विभीशिका से आज की पीढी को अवगत कराना चाहती है,जिससे युवा पीढी में आजादी और देष के प्रति अनुराग उत्पन्न हो। भारत सरकार का यह प्रयास सराहनीय है। आजादी के महत्व को युवा पीढी तक पहुंचाने के लिये सरकार द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है। यह प्रयास भारतीय आवाम विषेशकर युवा पीढी में आजादी के प्रति अनुराग और देषप्रेम की सदभावना को कुसुमित करने में अहम भूमिका निभायेगा।
नन्दलाल भारती
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