पन्द्रह अगस्त
पन्द्रह अगस्त,आजादी के जष्न का दिन, जी हां आज के ही दिन 15 अगस्त 1947 को हमारा देष बिट्रिष षासन की जंजीरो से मुक्त हुआ था। इस आजादी के लिये बिट्रिष षासन अनगिनत स्वतन्त्रता सेनानियों के प्राणों की आहुति ले ली थी। देष के अमर सपूतों ने फांसी के फंदे को चुना था। इस दिन हम अमर षहीदों, स्वतन्त्रता सेनानियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते है । जैसाकि हम जानते है स्वतन्त्रता सेनानियों के बलिदान के बिना आजादी की कल्पना तक नही की जा सकती। हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां भी महान स्वतन्त्रता सेनानियों की ऋणी रहेगी।
नमन करते है हम अमरषहीदों को
जिन्होने गुलामी की जंजीरों को
लहू से पिघलाया,देष आजाद हुआ
ऋणी रहेगे हम आजादी के दीवानों के
जिन्होंने बिट्रिष षासन की कैद से
देष को मुक्त कराया
नमन है नमन है उनको.................
वैसे तो आजादी के लिये अनगिनत देष के सपूतों ने बलिदान दिया है पर दुर्भाग्यवष बहुत ऐसे अमर षहीद है जिनका नाम भी इतिहास के पन्नों से नदारत है। यह इतिहासकारों का अदूरदृश्टिता थी या पक्षपातपूर्ण रवैया यह तो षोध का विशय हो सकता है। गर्व की बात है कि हम आजाद है,डां अम्बेडकर का दिया हमारा अपना संविधान है,हमारी आजादी उन ज्ञात-अज्ञात अमर षहीदों, स्वतन्त्रता सेनानियों के बलिदान का अमृत वृक्ष है जिसकी छांव मे हम जमीन से आसमान तक अपने हिस्से के आसमान की तलाष रहे है। खुषी की बात भी है कि बहुत सी हमारी हसरतें पूरी भी हुई।
आज हम आजाद न होते
पांव चाद पर ना होते
सोच कर देखो
गुलामी की जिन्दगी का कैसा रहा होगा हाल
अमरषहीदों का है बलिदान
दुनिया में उंचा है देष क भाल
वो आजादी के दीवाने ना होते
तो क्या अपने पांव चांद पर होते...............
सर्वविदित है देष की आजादी के लिये बिट्रिष षासन ने अनगिन भारतीयों के प्राणों की आहुति ली है। देष की आजादी के लिये अनेक क्रान्तिकारियों ने बलिदान दिया। उनमें से सुभाश चन्द्र बोस,लोकमान्य तिलक,बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय,खुदीराम बोस,उधम सिंह,भगत सिंह,चन्द्रषेखर आजाद,बिपिन चन्द्र पाल,अषफाकउल्लाह खान,बीर अब्दुल हमीद,मातादीन,मंगल पाण्डे, सुखदेव, एनीबेसेण्ट, रानी लक्ष्मीबाई,वीरांगना लक्ष्मीबाई,उदैइया,चेतरामजाटव,बल्लूमेहतर,उदादेवी पासी,महाबीरी देवी वाल्मिक,दोजीराम जाटव,राम प्रताप और भी अनेक क्रान्तिकारियों ने बलिदान दिया तब जाकर 15 अगस्त 1947 आजादी के रूप में देखने को मिला। महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और कई बार उन्हें जेल भी उन्हें जाना पड़ा । हमारी आजादी क्रान्तिकारी स्वतन्त्रता सेनानियों के लम्बे संघर्श और बलिदान प्रतिफल है।
आओ करें उन्हें हम सलाम
जिनके बलिदान से आया है ये मुकाम
वे आजादी का सूरज नही देख पाये
दीवाने जिनका आजादी था ख्वाब
आजादी वही अपने पास
अपनी आजादी पर ना पड़े कोई दाग
देष प्रेम का ऐसा हो अनुराग
आओ करें उन्हें हम सलाम
जिनके बलिदान से आया है ये मुकाम ...............
भाइयों एवं बहनों पन्द्रह अगस्त का दिन ऐतिहासिक दिन है जो हमें स्वतन्त्रता सेनानियों की याद दिलाता है, जिन्होने कुर्बानिया और बलिदान देकर बिट्रिष षासन की कैद से देष को आजाद करवाया है। यह आजादी का पावन पर्व उन स्वतन्त्रता सेनानियों,अमर षहीदों को नमन और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का दिन है।
अन्त में मेरा यही अनुराध है कि आज के दिन हमें राश्ट्र के विकास, रक्षा व राश्ट्र के निर्माण का संकल्प लेना चाहिये। राश्ट्र को धर्म और संविधान को धर्मग्रंथ मानने का संकल्प लेकर देषहित में ईमानदारी और पूरी वफादारी से अपने दायित्वों के पालन का भी संकल्प लेना चाहिये।
और अन्त मेंः
सलाम उन आजादी के दीवानों को
छाती तान कर गोलियों का किया अभिवादन
फांसी के फंदों तक को किया नमन
हमारी आजादी के लिये प्राण तक गंवाये
कर्जदार रहेगे सदा हम उनके
आज उनकी यादे ताजा करते है
देकर लहू जिसने देष को आजाद किया
हम अमरषहीदों को षत् षत् नमन करते है।
15 अगस्त के इस पावन पर हार्दिक बधाईयां एवं मंगलकामनायें।
नन्दलाल भारती
12/08/2023
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