केरला की यात्रा पर
सच जनाब अपनी दुनिया
एक बड़ा मेला है
मेले में इस अपना देश भारत
एक रंगबिरंगा अहम् हिस्सा है
कोने -कोने में भरा पड़ा किस्सा है।
जिंदगी भी तो मेले का हिस्सा है
सच कहूं तो
जिन्दगी एक यात्रा ही तो है
यात्रा के साठवें दशक की शुरुआत में
डूब और गहरे तक डूब जाना चाहता हूं।
दुनिया एक मेला है प्यारे
मैं मेले से मोहब्बत करना चाहता हूं
जिन्दगी के वंचित हिस्से को
दिल की आलमारी में सजाना चाहता हूं।
मेले को समझने और मेले में
समाने के लिए एक नयी,
केरला की यात्रा पर हूं।
चौकी (खैरा-उप्र) दिल्ली, इंदौर
और भी बहुत ख़ूबसूरत यात्राओं से
बंगलौर और अब केरला की यात्रा पर हूं ।
समझने और सम्मान देने के लिए
पहचान में अपना रंग भरने के लिए
करेलानुमा केरला की,
हरियाली में डूबने के लिए
केरला की यात्रा पर हूं।
पहचान नई तो नहीं
केरला की तस्वीर और रंग अच्छा लगता है
सुहानी यात्रा केरला का मैं सारथी नहीं हूं
हर बार, बार-बार
सारथी बनना फायदेमंद नहीं लगता है
यात्री बनना भी अच्छा लगता है
केरला की यात्रा को सहेजना है
यात्री के यौवन का आनंद लेना है।
जीवन रुपी यात्रा मिनट दो मिनट कि,
यात्रा तो कतई नहीं है
जारी रही तो दशको,अर्धशतक या
कभी- कभी शतक पार भी
यात्रा के क्षण-क्षण में
ध्यानास्त हो जाता हूं
बस आनन्द लेना चाहता हूं
केरला के स्थानीय भोज्य पदार्थों
पेय पदार्थों को स्वाद की
मीठी मीठी आंच पर पकाना चाहता हूं
दृष्टि की आंच पर चखना चाहता हूं ।
इडली, नारियल की चटनी
डोसा, इडली बड़ा,नीर डोसा,
ईडीअपम्म, अपम्म,तोरण,रसम,अवियल
और बहुत कुछ के स्वाद के साथ
चाय काफी की चुस्कियों के साथ
केरला की दो दिवसीय यात्रा में
भरपूर जीना चाहता हूं।
बुध्दि और दिमाग पर ताला जड़कर
बुद्धू बन कर यात्रा का सुख
भरपूर सुख भोगना चाहता हूं ।
मैं समझता हूं
अच्छी अनुभूति के लिए जरूरी है
अच्छे लोग अच्छे एहसास के साथ
मैं केरला की यात्रा पर हूं
मैं समझता हूं ,
बढ़ती उम्र में बेहद जरुरी है
केरला की यात्रा जीवन का
इन्द्रधनुषीय रंग है
यात्रा के बिना जिन्दगी की कहानी अधूरी है
सेहत के लिए भी तो यात्रा जरुरी है
मैं केरला की यात्रा पर हूं
जीवन यात्रा है,मैं यात्रा पर हूं।
नन्दलाल भारती
कवि, कथाकार, इंदौर, मध्यप्रदेश (भारत)
३०/०८/२०२४
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