मुलाकात
और पुराने दोस्त यार कैसे हैं मुलाकात होती है भाई वर्मा?
कम्पनी के साथी तो रिटायर होते ही पराये हो जाते हैं, कुछ सदा के लिए बिछुड़ी जाते हैं। स्कूल कालेज के साथियों की तरह। शैतान क़िस्म के सहकर्मियों को याद कर लो,तो दिन का चैन रात की नींद दूर भाग जाती है। कुछ मन से जुड़ो से तो फोन तक ही सीमित रह जाता हैं ।
हां वर्मा कुछ बेचारों की दुनिया तो खटिया तक ही अटकी रह जाती है।
बुद्धसरण कल शर्मा से मुलाकात हुई थी।
कौन शर्मा बुध्दसरण पूछे ?
वही चम्बल वाले गोरा गठीला बदन, मीठी आवाज वर्मा हुलिया बताये।
समझ गया। वो तो अब बहुरुपिया हो गया होगा बुध्दसरण उत्सुकता से बोले।
हां उम्र की मार कहां छोड़ती है? शर्मा मेरे तनिक दूर के पड़ोसी है, पिछली लाइन में रहते हैं। पत्नी की मौत क्या हुई ? बेचारे अनाथ होकर रह गए हैं।
क्या कह रहे हो वर्मा ? शर्मा के तो तीनों बेटे अच्छे पढ़े -लिखे थे,बुध्दसरण चिन्ताग्रस्त पूछे।
हां भाई है ना। तीनों बढ़िया कमा खा रहे हैं। शर्मा ने तीनों को उपर नीचे घर बनाकर दे दिया है। अपने बाल बच्चों में तीनों व्यस्त हैं।चार परिवार,तीन तवा की रोटी, सुड़क-सुड़क कर बेचारे शर्मा अकेलेपन के अंधेरी दुनिया में, पत्नी की याद में व्यस्त रहते हैं,वर्मा सिसकते हुए बोले।
क्या गज़ब का बदलाव है ? तीन बेटा परिवार एक बूढ़ा बाप और तीन तवा की रोटी। कैसी बेबसी है भाई ? बुद्धसरण कटकटाते दांतों को काबू करते हुए बोले।
हां बुध्दसरण कल की मुलाकात बड़ी डरावनी थी कहते हुए,वर्मा पत्नी को आवाज देने लगे-अरे गीतारानी देखो अपना यार आया है ठण्डा पानी लाओ,चाय नाश्ता बाद में बनाना।
जाड़े की मुलाकात में ठण्डा पानी पिलाकर बत्तीसी हिलाना चाहते हो क्या गीतारानी मुस्करायी ?
बुध्दसरण पोपल मुंह से फुस्स ठहाका लगाते हुए बोले भौजाई तुमने तो सचमुच यादगार बना दिया आज की मुलाकात।
नन्दलाल भारती
१०/०८/२०२४
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