स्वरोजगार
अरे देखो, काले शूट वाले आदमी को लगता है, अपने गौने का शूट पहनकर आया है। देखो सिगरेट कैसे मुट्ठी में दबा कर पी रहा है ?धुआं पुराने कबाड़ ट्रक की तरह धुआं जमीन की ओर उड़ा रहा है पगला कहीं का ।
अरे क्या बक रहे जगोधर ?
क्या ग़लत बोल रहा हूं गजोधर भईया ?
अरे पगले वो समधी साहब है। सरकारी अस्पताल में डॉक्टर हैं गजोधर बोले।
डाक्टर है या नशेड़ी, भंगेड़ी। नशेड़ी का बेटा क्या करता है ?
कांटैक्ट पर नौकरी करता है।
बाप सरकारी डॉक्टर और अस्थाई कर्मी,सच में बेटी का बाप कम अक्ल का है या बेटी।
नहीं जगोधर बेटी का बाप फर्स्ट ऐड डाक्टर है, बीटिया अपने गांव की उच्च शिक्षित हैं सुधेश्वरी ।
बीटिया सिर्फ शिक्षित है, काश बीटिया में कौशल होता तो अंधेरी जिन्दगी को गले नहीं लगाती।
कैसी अशुभ बात कर रहे हो जगोधर ?
पच्चीस लाख में शादी पड़ रही है।दूल्हा बाजार कितना गरम है । भईया सुधेश्वरी को अक्ल होती तो बाप से पांच लाख लेती कोई व्यापार शुरू करती। सरकार भी तो भरपूर सहायता कर रही है उद्योग स्थापित करने के लिए। बाप कर्ज के भार से भी नहीं दबता।
वाह जगोधर तुम तो दूर दृष्टिवान हो गजोधर बोले।
काश ये शिक्षित बेटियां,आश्रित बनने की जगह आश्रय देने वाली बनती तो दहेज की बलि नहीं चढ़ती ।
हां ,जगोधर काले शूट वाले अजगर बेटे के बाप जैसे लोग बेटी के बाप के मुंह पर धुआं नहीं उगलते । दूल्हा बाजार में स्थायी सुनामी आ जाता।काश आज की बेटियां अपात्र दूल्हों की जगह स्वरोजगार को गले लगाती तो खुद अपने योग्य दूल्हे चुन पाती गजोधर बोले।
नन्दलाल भारती
०९/०९/२०२४
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