Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपनी जहां होती

 

अपनी जहां होती ,
स्वर्ग से सुन्दर यारों ,
पर क्या ............?
जातिवाद ,नफ़रत पक्षपात ,
दिए रिसते जख्म हजारों ,
ना गूंजती खिलाफत में ललकार ,
मरते सपने कराहते अरमान यहाँ
नसीब ,अमन , चैन सब लूटे
मानवीय समानता से हुई ,
विरान अपनी जहां……डॉ नन्द लाल भारती 19 .03 2014
बिगुल /लघुकथा
रामू तुम्हरारे चमन में अमन तो है ना।
शंका क्यों हंसराज ?
चहरे के पीछे का भय।
होली है भय में नहीं रंग में डूबिये जनाब।
डूबे है पर ये भय कब तक ?
जातिवाद ,नफ़रत ,पक्षवाद जब तक। अब तो भ्रष्ट्राचार के आरोप भी डंसने लगे है।
शोषित पर आरोप कौन ?
वही दबंग जो जातिवाद ,नफ़रत ,पक्षवाद को सींच रहे।
कंसराजो के रहते शोषित आदमी का उध्दार और देश का विकास कैसे होगा।
शोषित आदमी के उध्दार और देश के विकास के लिए बिगुल बजना चाहिए हंसराज

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

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