Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपनी जहां में

 

माना कि हम
अपनी जहां में ,
हो गए हैं ,
हाशिये के गरीब इंसान ,
ये दुनिया वालों ,
फ़क्र है हमें ,
हमारी वफ़ा पर ,
हम ना हुए
देशद्रोही, भ्रष्ट और
बेईमान।

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

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