Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अपनी परछाई अपना यार

 

ना छोटा ना बड़ा
ना कभी उंच नीच की बात
ऐसा बसंतमय जीवन साथ
हर दर्द में रहा खड़ा
वही असली यार-रिश्तेदार
ना तेरा ना मेरा ना कोई रार
जाति -धर्म-भेद ना तकरार
सुख में साथ दुःख में छांव
हाथ बढाए सदा
निकालने को मुश्किलो के पार
जीवन जहर भले कहे कोई
जीवन सफल हो जाता
जब होता साथ ऐसा यार
दर्द का रिश्ता सच्चा यार ,
संबंधो का होता प्राण
साथी जीवन सार,
अपनी परछाई अपना यार ................

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ