Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

असली आज़ादी का बिगुल बजाओ

 

aajadi

 

मिली आज़ादी तन के गोरे मन के कालो से
बदले अनगिनत हुए शहीद
बही थी लहू की नदियां
पर क्या दुखद एहसास ,
असली आज़ादी की आस
न हुई पूरी अपनो से
आज़ाद हम और हमारा देश
असली आज़ादी कोसो दूर
स्याह होती रतियाँ .......

 


शोषित अदने आदमी की छाती
जैसे कब्रस्तान
नित मरते सपनो का दर्द पी रहा
अदना इंसान
देश आज़ाद क्या हुआ
भरने लगी विदेशी बैंकें
बढ़ता गया भ्रष्टाचार घिनौना
जीवन हुआ कठिन अदने का
कांट लगने लगा बिछौना .......

 


बड़ी उम्मीद थी आज़ादी से
सरकार मूलभूत जरुरतो ,
कौशल विकास पर देगी ध्यान
हुआ अब तक विपरीत
शिक्षा माफिया का षणयंत्र भयावह
डंसने लगा नवयुवको का भविष्य निर्माण
जातिवाद, क्षेत्रवाद ,नक्सलवाद ,
आतंकवाद की ऊँची तान
बहुजा हिताय बहुजन सुखाय का
नहीं हुआ अपनी जहां में भान .......

 


लोकतंत्र के पहरेदारो
न होगा बर्दाश्त अब
जातिवाद, क्षेत्रवाद ,नक्सलवाद ,
आतंकवाद,अत्याचार और भ्रष्टाचार
ना लो और अग्निपरीक्षा
अदना तन जायेगा जब कर देगा बहिष्कार .......

 


सत्ताधीशो कसम है तुम्हे अमर शहीदो की
जनहित -लोकहित में
कर्तव्य पथ पर डट जाओ
चेहरा बदलना छोड़ दो
संविधानं को देश का धर्मग्रन्थ बनाओ
सभी है आज़ाद अपनी जहां में
असली आज़ादी का बिगुल तो बजाओ .......

 

 

 

डॉ नन्द लाल भारती

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ