Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बीमार है क्या ?

 

आप बीमार है क्या?
नहीं हैं बड़ी अच्छी बात है
गर है तो सुनहरा मौका
कुछ दिन सकूँ से बिता लीजिये
मौंका और दस्तूर भी है
हाड़ मांस की काया को थोड़ा
विश्राम दीजिये।
विश्राम के दिन को जश्न मान लीजिए
बदन की जरूरत है
आराम कर लीजिए
बीमार होना अच्छी बात तो नहीं है
बीमार होना आपके हाथ मे नही है
ब्याधि के कई कारण भी सकते है
जनाब बीमारी तो ठीक हो जाएगी
हिम्मत और खुश रहना,चिंतामुक्त रहना हैं
डॉ के बताये अनुसार दवा लीजिये
बीमारी का मज़ा लीजिए
बीमारी बरसात के पानी की तरह निकल जायेगी
रहिमन बाबा ने पहले ही कह दिया था
रहिमन विपदा हूँ भली जो थोड़े दिन होय
हित अनहित या जगत में जानि परत सब कोय
जनाब यकीन मानिये बीमारी
बीमारी कतई नही रहेगी
पारखी नज़र रखिये
बरसाती मेढकों की बारात विदा हो जाएगी
ए परजीवी भी बड़ी बीमारी है
कहते है बस आदेश कीजिए
आसमान से तारे तोड़ लाएंगे
बीमारी में,दुःख की बेला में
कही दूर तक नज़र नही आएंगे
सगे होगे या बेगाने पहचान लीजिये
लिखते पढ़ते, हंसते गाते
समय पर दवाई लेते रहिये।
पानी अधिक पीया कीजिये
बीमारी का चटकारे मर कर मज़ा लीजिये
बीमारी को दूर भगा ही सकते नहीं
बीमारी को आनंद से भी कबमक़लेना सीख लीजिए
निरोगी काया निरोगी काया रटते रहिये
रटना ही नहीं, शारीरिक ब्यायाम करिये
बीमारी को जश्न की तरह समझिए
कबीर साहब ने तो मौत को
उत्सव के रूप में देखते थे
हम तो आम आदमी है
कम से कम बीमारी का जश्न तो मना ही सकते है
बीमार हूँ बीमार हूँ रट लगाना
बीमारी को बढ़ाना है
ज़िन्दगी सकूं से जीना है
हौशले कि ताकत से बीमारियों को पछाड़ दें
ज़िन्दगी है विष तो जीवन की सांस बना दें
दुख या कहे बीमारी बस आनंद उठा लीजिये
दुख ,बीमारी जीवन की पाठशाला
इस पाठशाला से सच्ची ज़िंदगी
अच्छी तरह से जीना सीख लीजिये।

 

 


डॉ नन्दलाल लाल भारती

 

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