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Dr. Srimati Tara Singh
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चुल्लू भर पानी

 
लघुकथा: चुल्लू भर पानी

चतुर्थ वर्णव्यवस्था का शिकार उच्च शिक्षित पठनकुमार प्रबंधन की परीक्षा क्या पास कर लिया विरोधी खेमे में आग लग गई।

बात और आगे बढ़ गई जब पठनकुमार ने अपनी नई शैक्षणिक उपलब्धि को व्यक्तिगत कार्यालयीन रिकॉर्ड में जोड़ने के साथ ही  शैक्षणिक योग्यता एवं लम्बे अनुभव के  आधार पर कैडर में बदलाव का    आवेदन प्रस्तुत कर दिया।

पठनकुमार के आवेदन को देखते ही विभागीय प्रमुख उच्च वर्णिक मि.अवध प्रकाश का चेहरा तमतमा उठा। वे पठनकुमार को तलब किये और पूछे तुमको नौकरी करनी है ? तुम्हारा कैडर नहीं बदल सकता।

जी मैं पन्द्रह साल से  कैडर में बदलाव की हर परीक्षा दे रहा हूं, उच्च शैक्षणिक योग्यता और लम्बे अनुभव के बाद हर परीक्षा में फेल कर दिया जाता हूं। मेरे साथ अन्याय क्यों ? मेरा कैडर क्यों नहीं बदल सकता क्योंकि मैं छोटी कौम से हूं। यही मेरी अयोग्यता है क्या ?

पठनकुमार की  बात सुनते ही मि. अवध प्रकाश के बदन में आग लग गई। वे बौखला कर बोले तुम अपनी बिरादरी वालों को देखो,तुम बाबू बने पंखे की हवा खा रहे वे क्या कर रहे हैं ? अगर इतना ही अफसर बनने का शौक है तो गले में अफसर की पट्टी बांध लो।हो जायेगी साध पूरी।

जी वह भी वक्त आयेगा पठनकुमार बोला।
तुमने एल एल भी भी किया है क्या? अवध प्रकाश तमतमाते हुए बोले।

जी वह भी डिग्री मेरे पास है पठनकुमार अदब से बोला।
मि अवध प्रकाश बेअदबी से बोले गेट आऊट।

जाने से पहले मैं आप से पूछना चाहूंगा कि मेरी योग्यता, मेरे अनुभव, मेरी लम्बी सेवा का चीरहरण क्यों किया जा रहा है?

मि.अवध प्रकाश की आंखों में खून उतर आया , वे चिल्लाकर बोले गेट आऊट।

क्या यह जातिवाद नहीं है पठनकुमार सवाल दागा ?
मि अवध प्रकाश मौन उबल रहे थे।
मि अवध प्रकाश के गुस्से को सातवें आसमान पर देखकर राजू जैन्टलमैन,जातिवादी खेमे के अफसर बोले,जाओ साहब कुछ बोल रहे हैं।

साहब आप लोग चाहते हैं मैं शोषण, अत्याचार सहूं या   नौकरी छोड़ दूं। मैं अब ना अत्याचार सहूंगा और ना    नौकरी  छोड़ूंगा। मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि मैं इसी विभाग में साहब बनूंगा और मेरी नेम प्लेट भी लगेगी कहते हुए पठनकुमार यातना कक्ष से बाहर निकल गया। 

प्रकति ने पठनकुमार  के साथ न्याय किया, नौकरी के आखिरी पड़ाव पर पठनकुमार साहब बना और उसकी नेमप्लेट भी लगी जो जातिवादी खेमे के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने को काफी था।

नन्दलाल भारती
27/05/2023

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