Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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.दहेज उत्पीड़न

 
.दहेज उत्पीड़न

फैसले कतई बुरे नहीं थे
इरादे भी नेक थे
आज भी हैं
और
रहेंगे भी........
एक लड़की को
बिना किसी दान दहेज कर
ब्याह लाना
बेटी के बाप के लिए
राहत की बात होनी थी
यह कृत्य तो सम्मान का था......
ठगों की दुनिया के लिए
सरलता-सहजता वफादारी
लूट का औंजार बन जाती है
यही हुआ है
अच्छे आदमी के
स्वागतयोग्य अच्छे फैसले का.......
ठगों ने चीरहरण कर दिया
अंधेरे मे ढकेल कर
पैलग बेटी के हाथ पीले ही नहीं
कैकेयी भी बना दिया
स्थायी लूट के लिए........
एक तरफ ठग
मां बाप दहेज उत्पीड़न
महिला अत्याचार, शोषण
जेल की सलाखों का
खौफ दिखाते
दूसरी तरफ ठग की बेटी
अपने ही पति को बेघर कर
अन्न जल से तरसाती......
पति पर अत्याचार, शोषण उत्पीड़न करती
सास ससूर के नाम पर
बंदूक तन जाती
पति से नहीं पति की दौलत  से
मोहब्बत करती
ये कलयुग की कैकेयी
अधिकार के नारे लगाती
बूढे सास ससूर को
बेसहारा करने की जिद
पति को आंसू देती.........
ठग मा बाप के अपवित्र हाथों मे
ससुराल का आसमान 
छिन कर रखने की जिद करती
नेक आदमी और 
नेक फैसले को कलंकित करती
ठग की बेटी आदमियत को
कलंकित करती........
ये कैसा नारी उत्पीड़न
पुरुष की छाती पर ताण्डव
अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण
ठगों की दुनिया का 
शायद यही उसूल होता है
जहां पीढियों के कत्ल का
कोई मतलब नहीं..........
ठगों के लिए क्या अच्छा
क्या अच्छे लोग
आंखों पर पट्टी 
दिल के दरवाजे पर ताले लूठ
 और दमन की हर साजिश
शरम नहीं
पवित्र रिश्ते को शर्मसार करते
पैलग बेटी के सहारे
कानून, जेल की सलाखों की
चमचमाती तलवारें
कैसे बचेगा रिश्ते का सोंधापन
कैसे कुसुमित रहेगी आदमियत....
विचारणीय प्रश्न
सालता रहता है
ठगों से बचने का उपाय
ढूढता रहता है
महिला उत्पीड़न के पाखण्डों
दहेज उत्पीड़न के बेलगाम 
कानून के युग मे
दहेज उत्पीड़न के झूठे केस मे
जेल जाने सब कुछ गंवाने का
डर लगता है
सच कहूं ऐसे उत्पीड़न के जीवन मे
खौफ ...बहुत खौफ लगता है
छंटेगा अंधियारा, उम्मीदें
भरेगी उड़ानें
ठगों की दुनिया मे सवाल उठेगा
छाती कूटेगे,
राज से जब परदा हटेगा
पंछी अपने, अपने घोंसले मे लौटेंगे
मन कहता है........ मन कहता है ।

डां नन्दलाल भारती

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