धर्म राजनीति के पहरेदारों ,
सुलगता सवाल पुराना ,
सदियाँ बीती भेद के दलदल में ,
रिसता जख्म -असमानता -डरावनी दूरी ,
अपनी जहां में ये कैसी मज़बूरी ?
कब तक वंचितो का रहेगा ,
गर्दिश में सितारा ,
भेद का बोझ हुआ भारी
तुम्ही बताओ कब हाथ बढ़ाओगे ,
कब बनोगे सहारा।
डॉ नन्द लाल भारती
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