गांव चलो
आओ गांव चलो
गांव देख तो आओ
गांव का मुखौटा बदल गया है
दूर से तरक्की दिखेंगी
सरकारी योजना के अनाज
मोटरसाइकिल पर लादे लोग भी
दिख जायेंगे,
किसी -किसी के दरवाजे पर
खड़ी मोटरकार में उपस्थिति
दर्ज कराती दिख जायेगी
यह दहेज दानव की कृपा का कमाल है
सच तो यह है,
अपना गांव बेहाल है।
व्यवस्था वैसी है पुरानी
गांव टोलों में बंटे हुए हैं
शोषितों का टोला अभिशापित है
मजदूर माथे पर हाथ रखे
सरकारी खैरात की बाट जोह रहे है
खैर करे भी तो क्या ?
रोजगार भी तो नहीं है
भूमिहीन भी तो है
बाहुबली मौज में पहले भी थे
आज भी है
शोषित की कमर पहले भी टूटी हुई थी
आज भी टूटी कमर लूटी नसीब का
मालिक है शोषित
रोटी कपड़ा मकान के लिए
कठिन संघर्ष जारी है
ऊंच -नीच की जोर आजमाइश
जोरों पर है
रोज-रोज महंगी होती शिक्षा से
दूर और दूर होता जा रहा है
क्या करें ?
गांव की सरकार नहीं सुनती तो
राजधानियों की सरकारें
क्या सुनेगी?
दीपक तले ही तो अंधेरा है
बाहुबली सरकारी अचल सम्पतियो पर
कब्जा किये हुए हैं
खानदानी विरासतें हीरे के भाव बेच रहे हैं
काश गांव की अचल सम्पत्तियो को
भूमिहीनों में बांट दिया जाता
पोखरी तालाब शोषितों के अर्जन के
स्रोत बना दिये जाते
गांव खुशहाल हो जाता
फिक्र किसको ?
वोट एक हथियार था
वह शराब और कबाब पर तोल दिया जाता है
आह्वान है,
कोई तो चलो गांव
मुफ्त शिक्षा की गारंटी लेकर
स्थायी रोजगार के बंदोबस्त लेकर
धरती के स्वर्ग गांव को बचाना है
विकास की दौड़ का रुख
गांव की ओर करो
अपना देश गांवों का शहर, गुमान करो
आओ अब तो गांव की ओर चलो.......
नन्दलाल भारती
17/02/2023
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