कविता: हैरान हूं।
मैं हैरान हूं
कैसे उबरेगा देश
खैरात-खैरात का संदेश
हजार.... तीन हजार
साइकिल लैपटॉप
मोपेड बंट जाये अब
मोटर साइकिल का
कब हो जाये ऐलान
देख-सुन मैं हूं हैरान......
चुगने को अनाज
क्यों काटे जा रहे
कमाऊ हाथ....?
मुफ्त बिजली
चुनाव जीतने का
लोक लुभावन तरीका ऐसा
ना कोई शानी
भ्रष्टाचार गढ़ रहा कहानी
करदाता का पसीना हो रहा बेजां
मै हैरान मैं हैरान......
ख़ज़ाने का बंदरबांट
कब तक संवारेगा ठाट
दिन वो एक दिन आयेगा
ख़ज़ाना खाली हो जायेगा
करदाता सड़क पर उतर जायेगा
पूछेगा जब पसीने पर सवाल
मच जायेगा तब बवाल
दुश्मन छेड़ेगा तान
सोच सोच मैं हैरान......
चेतो सत्ताधीशों चेतो
खैरात का खेल करो बंद
वरना जाग जायेगा
सोया करदाता
मच जायेगा गृहद्वन्द
बांटने का है इतना गुमान
करो मुफ्त शिक्षा
मुफ्त चिकित्सा
ओर
रोजगार की गारंटी का प्रावधान
ना मैं हैरान
ना करदाता होगा परेशान।
नन्दलाल भारती
१०/०८/२०२३
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