कविता: हमारी बेटियां
ये हैं हमारी अपनी सब की बेटियां
खुशियों का उपहार है बेटियां
बाबूजी की प्यारी ,
मैया की दुलार बेटियां
फुदक फुदक चले,
झनक -झनक बाजै पायलिया
घर अंगना हो जाये,
बसन्त की बयरिया
ऐसी होती है,
हमारी अपनी सब की बेटियां
बाबूजी के गले की हार,
मैया का श्रृंगार होती हैं बेटियां
बसन्त जैसी बहार होती है
हमारी बेटियां
कूटुम्ब की रौनक, भैया की प्राण
बाबूजी का स्वाभिमान होती हैं बेटियां
बचपन की यादें भी सौगात होती ह
धरा की परी होती हैं बेटियां
बाबूजी के दिल की धड़कन होती
मैय्या की जान होती हैं बेटियां
भैया की मान और शान,
अपनी जहां की आन होती हैं बेटियां
ये हैं हमारी अपनी सबकी बेटियां।
नन्दलाल भारती
३०/०७/२०२३
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