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Dr. Srimati Tara Singh
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जैसा विचार वैसा जीवन

 
जैसा विचार वैसा जीवन

मायावी दुनिया है बाबू,
लोग बसन्त की बयार के झोंके की तरह आते हैं
जिन्दगी में तूफान की तरह धोखा दे जाते हैं
धोखा देने वालों के लिए कुछ दिन,
कुछ महिना या कुछ साल सुख के होते है
दिल स्थायी रुप से बैठा होता है डर
वक्त का मिज़ाज बदलते ही 
जीवन के आखिरी दिन तक
रेंगते -रेंगते रोते-रोते बीतते हैं,
धोखा देकर सुख छीनने वाले दिन जल्दी बीत जाते हैं
नियति जब धोखा का प्रतिफल देती है
दिन वही एक साल हो जाते हैं
सच है बाबू मुशाय,
जीवन सरल है,
देते हैं जो वहीं पाते
बोते हैं जो वहीं काटते हैं
जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं
नेक सेवा की राहें पकड़ते हैं तो सुख असीम पाते हैं
गर करते हैं, धोखा, देते हैं लहू के आंसू,
सोचो बाबू मुशाय क्या पायेंगे ?
पापी-पापिन कहायेगे ।
चैन से मरने के लिए क्या चुल्लू भर पानी पायेंगे ?
धोखेबाज -ठग-दगाबाज,
एक दिन अपनी ही ठग -विधा पर आंसू बहायेंगे
बुद्धिमान और ज्ञानी सब सह जाते हैं 
दुनिया में धवल निशान छोड़ जाते हैं
बाबू मुशाय दुनिया जानती है
ज्ञानी-ध्यानी अपनी प्रवृत्ति के अनुरूप,
जीवन के वातावरण का सृजन कर जाते हैं
बहुरुपिए बसन्त की बयार के वेष में,
आदमी के जीवन में तूफान मचाने वाले
ठग चोर कहां समझ पाते हैं ?
बाबू मुशाय तुम मानो या ना मानो
हम अपने विचारों को चुनते हैं
अपनो विचारों से अपमान या सम्मान पाते हैं
ना धोखा ना दगा के विचार
जैसा विचार वैसा जीवन बनाते हैं
समझे बाबू मुशाय।
नन्दलाल भारती
२३/११/२०२३

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