Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जनाजे के दिन आंसू नहीं बहाना

 
जनाजे के  दिन आंसू नहीं बहाना।
नाम तुम्हारा कुछ भी हो
आशा,उषा, पुष्पा, आकांक्षा, अभिलाषा
सीता, सावित्री, सुमन, सुहानी,
विहान और भी बहुत कुछ
तुमने बूढ़ी आंखों के सपनों को,
कर दिया विरान,
ढकेल दिया आंसू के समन्दर में 
तुम्हें खानदान की बहू,
मर्यादा माना था,सच्चे मन से
जीवन की थाती और परिवार के,
मर्यादा की चाभी सुपुर्द कर दिया था
कांपते हाथों से तुमको,
तुमने क्या किया?
खंजर उतार दिया जिगर में,
तुमने सात फेरों की कसम को,
कर दिया कलंकित
पति अपने ही पति की तुम न हुई
पति को काबू में करने के लिए,
पुलिस, जादू -टोना अपराधी प्रवृत्ति का,
तुमने अभेद्य वार पर वार करती रही
बूढ़े सास -ससुर आंसुओं में डूबते
तड़प -तड़प कर मरते रहे,
तुमने सास ससुर की बीमारी,
हैरानी परेशानी का जश्न मनाती रही
परिवार में मौत के दर्द का तुमने,
तुम्हारे मां बाप ने भरपूर दोहन किया
बूढ़े मां-बाप की लाठी का टार्चर और
शोषण किया,
नवजात शिशु जो तुम्हारी कोख से
पैदा हुआ, उससे तुमने बदला लिया
सिर्फ इसलिए बूढ़े की थाती और
लाठी पर कब्जा कर,
तुमने अपने असामाजिक बाप के,
चरणों में डाल दो,
बहू तुम्हारे पाप की गठरी बहुत भारी है
तुम अपने बाप के सपने सजाने के लिए
तुमने बूढ़े सास -ससुर के सपने छिनकर
जिन्दगी में उनके दर्द के ज्वालामुखी
छोक दिये,
सच है तुम्हारे दिये दुःख से
बूढ़े के जीवन में सुलगते दर्द मिले हैं
तुम और तुम्हारे मां बाप,
दहकती आग से कैसे बच पायेगा
दुनिया जान गई है, तुम्हारे बाप ने
साजिश रची है,
बूढ़े के आसरा को गुलाम बनाने
जीवन को विरासत पर कब्जा करने की,
सफल भी हुए हो तुम बाप बेटी
तुम्हें बहू कहना पाप जैसा लगता है,
लगता है, तुमने बूढ़े सास -ससुर की
मौत की मन्नत मान रखा है,
तुम्हारी मन्नत तुम्हारे मां बाप की जड़ें
सूखा देगी,
पापिन बहू, जीवन में तुमने,
बहुत दर्द दिया,
तुम बूढ़े की मौत पर खूब खुशी मनाना
बूढ़े की मृत शरीर को,
छूकर अपवित्र ना करना
जमाने को दिखाने के लिए पापिन 
जनाजे के दिन आंसू नहीं बहाना
तुमने तो दर्द के दलदल में ढकेल कर
मौत दिया है बेवक्त, इसलिए 
तुम्हें खुशी मनाने का हक है
तुम्हारे लिए दस्तूर भी


नन्दलाल भारती
०७/०३/२०२४

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