Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन अग्नि पथ है

 

जीवन अग्नि पथ है अपना

जीवन संघर्ष है दर्द है,सुख की बयार भी

जीवन में भांति -भांति के जन मिलते है

कुछ जोड़ते है अधिक तोड़ते है सपना .......

कोई विष बोता है कोई आग

कोई सुलगता है है

दहन करने को भाग्य

देवतुल्य कोई शीतलता से

जगा देता है लूटा भाग्य .......

फिक्र नहीं होती उनको जो

अग्नि पथ के आदी,कर्मपथ के दीवाने होते है

फ़र्ज़ की राह पर फना होना उनकी फिदरत

वही कर्मयोगी काल के गाल पर

कनक सरीखे होते है .......

कायनात जानती है और हम भी

कर्मपथ के दीवानो को

अपनी जहां में जख्म बहुत मिलता है

दीवाना दर्द को पीता है अमृत मानकर

क्योंकि वह जानता है

जीवन अग्नि पथ है

यहाँ सुकरात को विष पीना पड़ता है .......

जीवन अग्नि पथ है पर

जीवन पुष्प भी तो है

कर्म पथ का दीवाना कहता है

पीकर विष भी गैर -बैर का कर परित्याग

अग्नि पथ पर चलता है .......

जीवन अग्नि पथ है सब जाने

वादा तो अपना है

विष पीकर,अग्नि पथ पर चलकर

कर्म की सुगंध सृजना है .......

जीवन अग्निपथ है

जीवन पुष्प भी तो है,

कर्म की सुगंध बाँटते जाना है

जीवन में भांति -भांति के जन मिलते है

फ़ना हुआ कर्मपथ पर जो

उसे कर्मयोगी कहते है

चलना है संभल -संभल कर

जीवन चलता वायु के रथ पर

जीवन अग्नि पथ है अग्नि पथ है .......

 

 

 

डॉ नन्द लाल भारती

 

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