Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

काश अध्यापक बन जाता

 

काश अध्यापक बन जाता


शोषित-पीड़ित,भूल-भटके शिक्षा से दूर खड़े जो
उनको सफल जीवन कि पाठ पढ़ा पाता
अंधियारे जीवन में,
शिक्षा की ज्योति जला पाता
भूले -भटके जो, उन्हें राह दिखा पाता
काश मैं अध्यापक बन जाता।

ज्ञान -विज्ञान,कर्म-महान का संस्कार सीखाता
अंधियारे की दुनिया का जुगनू बन जाता
जाति-धर्म से ऊपर उठकर
सफलता का गुर सीखाता
सम्मानित जीवन का पाठ पढ़ाता
काश मैं अध्यापक बन जाता।

देश -धर्म, संविधान राष्ट्रीय धर्म ग्रंथ
बुद्ध, महावीर, गुरुनानक
भगतसिंह, ऊधम सिंह,वीर अब्दुल हमीद
सुभाष चंद्र बोस की दास्तान सुनाता
समता,दया-शील का गीत सुनाता
शिक्षा सब का अधिकार का
नर-नारी एक समान का,
गीत नया लिख पाता
काश मैं अध्यापक बन जाता।

खो या लूट गए अधिकार जिनके
भूले -भटके शिक्षा से दूर खड़े जो
शिक्षा के उजियारे में उनके भी,
सपने जगाता
शोषितों -वंचितो की अंधियारी बस्ती में
ज्ञान -विज्ञान की ज्योति जलाता
मेरा भी सोया,सौभाग्य जाग जाता
काश मैं अध्यापक बन जाता।

सोंधी माटी जैसे गमक उठता,भूल भटकों का जीवन
पढ़ो-लिखो आसमान मुट्ठी में कर लो का गुर सीखाता
शिष्य अपने सफल जीवन का सुख पाते
मेरा सुख अद्भुत अलौकिक होता
भावविभोर मैं अपनी जहां को,
सफलता की कविता सुनाता
सौभाग्यशाली होता मैं भी,
अध्यापकों की पंक्ति में खड़ा हो जाता
काश मैं अध्यापक बन जाता।
नन्दलाल भारती

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ