Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मंशा

 
मंशा।
अच्छी तरह मुआयना कर लो,इस घर को सुधारना है बिल्डर अपने सहायक से बोला।
दुरुस्त करने से अच्छा तो फिर से बनाना है, न तो ईंट सीधे में जुड़ी है ना छत में कोई दम है, इलेक्ट्रिक फिटिंग, वाटर फिटिंग सब कुछ नया करना पड़ेगा। सिर्फ दीवाल को मोटा प्लास्टर कर सीधा किया जा सकता है, देखिये,छत का भी वही हाल है पूरा छत छू रही है बाल्टी बाल्टी पानी डालते हुए सहायक बोला।
सरल,सहज और सच्चे लोगों की नहीं रही मंगल भर्राई आवाज में बोले।
नहीं चाचा, दुनिया तो सहज,सरल और ईमानदारों की वजह से टिकी है  इंजी.बोला।
ठग कितना बड़ा शातिर हो ।उसका जनाजा निकल जाता है। किसी की आत्मा को तकलीफ़ पहुंचा कर सुखी कोई नहीं रह सकता सहायक बोला।
घर बनाने में आदमी जीवन की कमाई लगा देता है। कोई बिल्डर ऐसी कमाई लेकर भाग जाते तो आदमी टूट जायेगा। चाचा मेरा विश्वास रखो मैं मनीष पंवार, भागीरथपुरा की तरह काम नहीं करता।
बेटा मेरी छाती पर कर्जा का बोझ तो और बढ़ गया मंगल दीवार के सहारे बैठते हुए बोले।
बाप रे ये ठग कहां मिल गया।जितने भी घर बनाने के ठेके लिए है कोई भी मकान ढंग से नहीं बनाया।आपका तो घर भी नहीं बनाया और रुपए भी लेकर फरार हो गया सहायक बोला।
ठग रुप बदलकर दिल में उतरते हैं और दिल छलनी कर देते हैं। रुपए वापस देने का वादा कर भी नहीं दे रहा है। मेरे आंसू का बदला कुदरत  मनीष पंवार से जरुर लेगी।
सहायक बोला - चाचा आपके पसीने की कमाई ठगने वाले मनीष की मंशा ही ठीक नहीं थी वह इतने लोगों की  बदुआएं ले लिया है कि वह इस जीवन में  सुखी नहीं रह सकता है?
बदुआएं कभी बेकार नहीं जाती काश ठगी धोखाधड़ी करने वाले समझ जाते इंजीनियर बोला ?
नन्दलाल भारती
11/05/2023



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