लघुकथा -मतदान /नन्दलाल भारती
महोदय चिंताग्रस्त लग रहे हो। मतदान कर दिए?
जी डॉ साहब मैंने मतदान तो किया पर मतदान केंद्र पर मुझे एक अभिकर्ता का व्यवहार अच्छा नहीं लगा। गेट पर महिला पुलिस तैनात थी।
डॉ से पूछे महिला पुलिस कैसी थी?
जी-अच्छी थी जीवन बाबू बताये।
अच्छी से क्या तात्पर्य डॉ साहब पूछे ?
अच्छी से मेरा तात्पर्य , वह बहन सहृदयता का परिचय देते हुए सीनियर सिटीजन होने के कारण बैठने को बोली ।मैं बेंच पर बैठ गया।कुछ देर बाद सम्मान के साथ मुझे मतदान केंद्र के अन्दर भेज दी। वहां पीठासीन अधिकार सहित सभी महिलाकर्मी थी, पहले एजेंट ने वोट स्लीप देखा, दूसरी तरफ वोट देने के लिए लाइन में लगा, इसके बाद वोट देने वाली पर्ची देने मैडम के पास पहुंचा, मैडम ने स्लीप पहले ही ले थी,स्लीप से मिलान कर ली, इसके उपर नीचे उन्होंने देखा, फिर वोटर आईडी मांगा वह भी दे दिया, इसके बाद बोली नाम बताओ; जबकि इसके पहले तीन महिलाएं जा चुकी थी , उनसे पर्ची के अलावा न कोई प्रमाण पत्र और नहीं नाम पूछी थी।
मैडम की बात सुनते ही मैंने बोला -लिखा हुआ है।
वह बहस करने लगी, इसके पहले ही मैं आशय समझ चुका था। आखिर बार भी मैंने पढ़िए लिखा हुआ् है।
सामने बैठा एजेंट आंखें तरेरते हुए मुंह पर अंगुली रखते हुए शट अप/चुप रहने का संकेत कर रहा था। फाइनली मतदान कर बाहर जाने के लिए मुड़ा फिर वही एजेंट चुप रहने का संकेत करते हुए अपने रुतबे में बोला महिला अधिकारी से बहस नहीं करना, अंगुली दिखाते हुए बोला।
जीवन बाबू फिर क्या हुआ डॉ साहब पूछे?
जीवनबाबू-मैं बोला मालूम है मैं भी पीठासीन अधिकारी रह चुका हूं,फिर क्या वही महिलाकर्मी व्यंग्य बाण छोड़ते हुए बोली बहुत गर्मी है, जबकि छोटे से कमरे तीन पंखे चल रहे थे ,कमरा ग्राउंड पर था खण्डा भी था ।मुझे मैडम का आशय समझने में देर न लगी। मैंने कहा हां आपको लग रही होगी, अभी भी वह एजेंट दबंगता का परिचय देते हुए चुप रहने का इशारा रुतबे के साथ कर रहा था।
आपने जबाब दिया जीवन बाबू डॉ साहब पूछे?
मतदान केंद्र में मैं दबंग और रूलिंग पार्टी के एजेंट से बहस करना उचित न समझते आंखों से जबाब देते हुए बाहर निकल आया।
फिर वही सहृदय महिला पुलिसकर्मी बोली साहब इधर से जाइए। १३ मई२०२४ का मतदान आजीवन याद रहेगा।
डॉ साहब बोले -जबरदस्त ।
नन्दलाल भारती
१३/०५/२०२४
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