नि: शब्द
क्या नरेश बाबू जमीन पर ?
जमीन तो अपनी माई है।
हां बड़े भाई धरती मां है।आप परिवार के मुखिया हो, लाखों कमा रहे हो। परिवार को इतनी ऊंचाई दिये हो। आपकी वजह से तो परिवार की शान है और गांव की भी। आप इस तरह बैठे हो। मुझे तो तनिक भी अच्छा नहीं लग रहा है।
अच्छे-बुरे के फेर में क्यों पड़ना ? परिवार को आगे बढ़ाने के लिए विष भी पीना पड़ता है रुपेश भाई।
चाचाजी की तेरहवीं के दिन दहेज का ही सही सोफा दालान में रखवा देते।दहेज में इतना बड़ा सोफ़ा तो मिला था। बड़ी वाली टीवी और बहुत कुछ था सब कहां गया सब? छोटा भाई चन्द्रेश कहां है। बेटा की शादी का सामान छिपा कर रख लिया। चन्द्रेश को आसमान पर तो आपने बिठाया है। मैं उनसे बोलता है कम से कम सोफ़ा तो दालान में डलवा दे।
नहीं रुपेश भाई बिल्कुल नहीं। अपनी कमाई का तो सब कुछ है। सोफ़ा से अधिक आनन्ददायी तो अपनी मां धरती है। सोफ़ा, टीवी,और सारा दहेज का सामान दुल्हन के कमरे में उसकी सास ने सुरक्षित रखवा दिया है।
बाप रे चन्द्रेश की पत्नी को दहेज के सामान से इतना मोह,आप जो अपनी कमाई इन स्वार्थियों पर लूटा रहे हो उसका कोई मोल नहीं।आप जमीन पर बैठे हो। सोफ़ा,टीवी, वाशिंग मशीन,कुलर, पंखा और दूसरे सामान दुल्हन के बेडरूम की शोभा बढ़ा रहे हैं।
भैया रुपेश कोई बुराई नहीं दहेज दुल्हन को मिला है परिवार को नहीं।आपको मालूम है दहेज मेरे लिए विष है नरेश बोले।
मैं चन्द्रेश को याद दिलाता हूं रुपेश बोले।
नरेश होंठ पर अंगुली रख लिए।
नरेश का इशारा देखकर रुपेश नि: शब्द थे।
नन्दलाल भारती
१२/०३/२०२४
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