Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

प्रिय पुत्र

 
 प्रिय पुत्र
मेरा  सौभाग्य है 
तुम मेरे प्रिय पुत्र हो 
इतना ही सब कुछ नहीं है 
जीवन के प्रारंभ से जुड़ी दास्तान है 
पूर्वजों के लहू की प्राणवायु हो
डी.एन.ए.पुख्ता प्रमाण है पुत्र
ये सब ऐतिहासिक दास्तान है  
जीवन की स्वर्णिम की गाथा है पुत्र
जीवन की आस हो  प्यास हो 
आस, सुवास हो पुत्र
तुम दिल धड़कन हो
शब्दों में लहू का संचार हो पुत्र 
मैं तुमसे कुछ नहीं मांगता 
इतना भर कर देना पुत्र
जीवन के सार की इमारत का,
रंग-रोगन कर देना बस,
दिल के बादशाह हो प्रिय पुत्र 
जीवन की सफलता  हो 
जहां जब तुम्हारा का गुणगान करेगी
मैं तब सफल हो जाऊंगा 
खुद की नजरों में पुत्र
सच कहूं तुम्हारी सफलता से 
मेरा जीवन विहसता है पुत्र
खुशी की बड़ी वजह हो पुत्र
तुम सफलता के पथ चलो
जानता हूं असफलता के बाद,
सफलता अमृत तुल्य हो जाती है पुत्र
बहुत बरसों तक साथ नहीं रह पाऊंगा 
प्रकृति की मंजूरी ही कुछ ऐसी है पुत्र
तुम जीवन में सफल हो जाओगे 
सचमुच  मैं सफल हो जाऊंगा 
मुझे स्वर्ग का आनन्द मिल जायेगा पुत्र
मालूम है  तब ये दुनिया वाह-वाह कहेगी
मुहर लगा देगी मेरी सफलता पर,
अपनी जहां प्रिय पुत्र 
सफल पिता तब बन जाऊंगा,
प्रिय पुत्र  तुम सफल हो जाओगे 
उठो आगे बढ़ो... बढ़ो आगे बढ़ो पुत्र
हितकारी,शुभकारी,परोपकारी काम करो
जीवन में उन्नति करो पुत्र
लाडले जान से प्यारे हो पुत्र
कुल-दीप पूर्वजों के भाग्य हो अपने 
जीवन के अपने सौभाग्य हो प्रिय पुत्र 
बहुत प्यार करता हूं  प्रिय पुत्र।
नन्दलाल भारती 
१५/०९/२०२४

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ