Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संजय की मौत

 
 संजय की मौत
चचा बहुत उदास हो क्या बात है? कोई तकलीफ़ ?
अंधभक्ति बेटा ?
चचा आप कब से अंधभक्त हो गए ?
बेटा,साठ की उम्र में क्या होऊंगा। दुःख की बात है जिस गांव के प्रवेशद्वार पर सिम्बल आफ नालेज डॉ अम्बेडकर की मूर्ति प्रतिष्ठित है उसी गांव के लोग  विदेशी धर्म के अंधभक्त होकर गुलामी बुला  रहे हैं।उदास नहीं तो क्या होऊं  ?

चचा चिंता की बात है।इस अंधभक्ति ने गांव के एक  सम्वृध्द परिवार के आखिरी वंश को  मौत की नींद सुला  दिया।

मैंने पढ़ा या सुना था कहीं जब धर्म नहीं था तब लोगों के पास धन-सम्पदा और  धरती थी, जैसे-जैसे  धर्म और धर्म की किताब हाथ आने लगी धीरे-धीरे सब कुछ दूर होता चला गया,अब तो विदेशी धर्म प्रचारक, धर्म के चमत्कार के नाम पर अंधभक्ति परोस रहे हैं ।

संजय अस्पताल से इलाज करवाया होता तो भरी जवानी में नहीं मरता। विदेशी धर्म प्रचारको ने धर्म के चमत्कार की अंधभक्ति ने जान ले ली। अंधभक्ति ने । अस्पताल   नहीं ले जाने दिया। कितनी बड़ी अंधभक्ति है।

विदेशी धर्म प्रचारक लालच की रेवड़ी बांटकर अपने अनुयाई बढा रहे हैं । झूठे चमत्कार के चक्कर में गांव के भोलेभाले लोग  अपने पांव कुल्हाड़ी मारे रहे हैं। मुझे तो संजय के विधवा की चिंता लग रही है, बिना किसी औलाद के कैसे गुजारेगी पहाड़ जैसी जिन्दगी अकेली औरत कहते  हुए सुंदर्शनजी रो उठे।

चचा विदेशी धर्म की बाढ़ पर सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए  राहुल बोला।
काश..... सरकार ऐसा कर पाती  सुदर्शनजी आंसू पोंछते हुए बोले।
चचा विदेशी धर्म की आंधी को सरकार और भारतीय आवाम को मिलकर  रोकना होगा वरना धीरे-धीरे विदेशी धर्म गुलामी की जंजीर में कस देगा।
बेटा,मै तो विदेशी धर्म और उसके प्रचारकों का तिरस्कार करता हूं।
मैं भी चचा। मैं सोचता हूं इस जंग में हर गांव और देशप्रेमी को हिस्सा लेना चाहिए चचा  राहुल उत्तेजित होते हुए बोला।
विदेशी धर्म की जड़ें हिला दो....... हिला दो .....ताकि न कोई और संजय मरे और न गुलामी की आहट को रौंद दो  सुदर्शनजी गला साफ करते हुए बोले।
नन्दलाल भारती
15/03/2023






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