Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सपना

 
सपना
भाग्यवान सुनो।
क्या सुना रहे हो । सुबह- सुबह क्या मिल गया?
खुशी भाग्यवान खुशी हेमंत उतावले से बोले।
ये खुशी कौन है और कहां मिल गई ?
तुम नहीं समझ रही हो ।
अरे समझाओ ना।
भाग्यवान बचवा के देखने की खुशी ।
तुम्हें कहां मिल गया?
कालेज में?
तुम कालेज कब से जाने लगे ।बचवा दो हजार किलोमीटर दूर है और तुम्हें कालेज में कैसे मिल गया। कहीं नशे में तो नहीं हो ?
भाग्यवान मैंने भोर में सपना देखा कि बचवा मेरा मोबाइल हाथ पर रखकर बोला दादा मोबाइल भूल गए थे,उस वक्त में कालेज में था। मैंने बचवा से पूछा किसके साथ आये हो। बचवा बोला मम्मी के साथ दादा इतने नई कार दिखाई दी। बचवा पिछली सीट पर बैठे कम्बल ओढ़ते दिखाई दिया। इतने में अलार्म बज उठा बस सपना टूट गया उर्मिला चहकते हुए हेमंत बोले।
सपने में बचवा और तुम कालेज में पढ़ा रहे हो।इतनी दिवानगी।काश तुम्हारा सपना पूरा हो जाता घर-आंगना में बचवा की खिलखिलाहट गूंज उठती और तुम्हारा पढ़ाने का सपना पूरा हो जाता उर्मिला बोली।
विश्वास रखो उर्मिला हमारी तपस्या का फल जरूर मिलेगा हेमंत बोले। 
उसी दिन का इन्तजार है। काश वो दिन जल्दी आ जाता, सपना पूरा हो जाता उर्मिला थकी सी बोली।
नन्दलाल भारती
०८/१२/२०२३

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