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सतयुगी बहू

 
सतयुगी बहू
बगीचे का एक कोना तितलियों की तरह इतरा रहा था।कुछ पन्द्रह अधेड़ महिलाएं मार्निंग वॉक सेलिब्रेट कर रही थी। जी हां मार्निंग वॉक सेलिब्रेशन।
कुछ अपने परिचित मार्निंग वॉकर्स को भी वे नाश्ते के लिए आमंत्रित कर रही थी।
एक मार्निंग वॉकर अपने दूसरे साथी से धीरे से बोला सचेत रहना मां कहीं बहू नाश्ते में जहर न मिला दें ?
साथ चल रहा व्यक्ति बोला -शुभ शुभ बोलो यार। देखो ये मां बहने कितनी खुश हैं,हर बहू तुम्हारी बहू जैसी जहरीली नहीं हो सकती। साथी की बात सुनकर दूसरा मार्निंग वॉकर चुप हो गया।
इन दोनों मार्निंग वॉकर्स की चर्चा और महिला मार्निंग वॉकर ग्रुप के सेलिब्रेशन से हिमेश बाबू बेखबर न थे ।कार्यक्रम समाप्ति की ओर था ।हिमेशबाबू खुद को रोक न पाये वे सहज भाव से महिला वाकर्स ग्रुप के साथ खड़े हो गए और सम्बोधित करते हुए बोले माताओं एवं बहनों आपकी खुशी देखकर मन गदगद हो गया आप सभी का दिन शुभ और मंगलमय हो आगे बढ़ गये।
 करनेश बाबू नाश्ता बांट रही महिला से पूछे बहन नाश्ता आपने खुद बनाया है।
नहीं... नहीं भैया मेरी बहू ने ताजा ताजा बनाकर दिया है । मेरी बहू हम दोनो को धरती का भगवान कहती है अधेड़ महिला उत्साह से बोली।
करनेशबाबू बोले -बहन सतयुगी बहू  को  प्रणाम कहना।
नन्दलाल भारती
26/04/2023

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