सुकून भरा जीवन
सुकून भरा जीवन कहां ?
सुविधा सम्पन्न आज में
सुविधाओं की भरमार
फिर भी सकून नहीं आज
पल हर पल सकून की तलाश
आधुनिकता की दौड़
हनुमान की पूंछ जैसी बढ़ती सुविधाओं की चाह
यही है, यही है, सुकून लूटने का काज,
सुविधाओं के बढ़ते जाल में
अन्तर्मन से अशान्त हो गया है इंसान
असन्तुष्टि के प्रतिघात से आज
जीवन में संघर्षरत है इंसान
बेचैनी के भयाक्रांत दौर से
गुजर रहा इंसान
तकनीकी सुविधाओं का दौर
ऐसे दौर में काम की दो बातें
मिलेगा दिन में चैन
सुकून भरी होगी रातें
सकारात्मक सोच और जीवन में ठहराव
मानव मन के सुकून की सौगातें
ठहराव उम्मीदों में दम भरता
साहस और धैर्य को बल मिलता
आज मे जीना रिश्तों में सहजता
सकारात्मक सोच,ठहराव से आता
चिंता का बोझ कम, बहुत कम हो जाता
चिन्ता का बोझ हो कम तो
इंसान शान्त मन से सुकून में जीता
कल में क्यों फंसना वो तो बीता
लुभावनी सुविधाओं के जाल
ना बाबा ना अब और ना फंसना
जीवन के सुखद लम्हों को सहेजना
सुकून से जीना है अब
सुविधाओं की सुरसा के पीछे ना अब
है जो अपने पास वहीं है अपना
बाकी सब सपना
जान ले मन से मान लें
जरुरतें की जा सकती है पूरी
इच्छाओं की सुरसा रह जाती अधूरी
आओ प्यारे सरल स्वभाव,
सहज जीवन शैली अपनायें
पास अपने जो उसी का आनंद उठाये
जीवन को सुकून भरा, उत्सव बनायें।
नन्दलाल भारती
२०/०७/२०२३
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