पाठकवृंद बधाई ,स्वागत अभिनन्दन ,
विश्व पुस्तक दिवस हुआ
स्व-मान आपका
रचनाकार का है अभिमान।
पुस्तको का अस्तित्व
विरासत आपकी
साहित्य कला संस्कृति
परम्परा इतिहास
ज्ञान-विज्ञानं धरोहर कायनात की।
जैसाकि जग माने पुस्तको का कोई
वक्त नहीं होता , ना होता रात -दिन
पुस्तके होती शामिल
स्याही और कागज के वजूद में
ज़िन्दगी के वजूद और उसूल में
पुस्तके होती है विरासत धरोहर ,
याद सीख ,दुआ आशीष
उपहार के रूप में।
पुस्तके हमारी ज़िंदगी में योंहि
शामिल रहे ,
विरासत कायनात की धरोहर बनी रहे
पुस्तके है ज्ञान-विज्ञान की भंडार
आपका स्वाभिमान रहे
रचनाकार की अभिलाषा
जीवन की अमराई
पाठकवृंद विश्व पुस्तक दिवस की
हार्दिक शुभकामना और
बहुत-बहुत बधाई ………………
डॉ नन्द लाल भारती
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