असुरक्षा
फूकन दो बेटों के बाप थे। कमाई अच्छी थी। पत्नी उच्च शिक्षित और परजाति से थी। दोनों बेटों की शिक्षा-दीक्षा बेहतर ढंग से हुई। दोनों बेटे चिकित्सक बन गये थे। पत्नी दयादेवी से ज्यादा फूकन को घमंड था।दो- दो बेटों का,दोनों के डाक्टर होने का और अकूत दौलत का भी ।
किसी की अच्छाई फूकन से हजम नहीं होती थी। किसी भी व्यक्ति के बारे में बात करो तो उससे नजदीकी का रिश्ता निकाल लेते थे मतलब खुद को शिखर पर रखना उनकी आदत थी। फूकन सम्पन्न थे और घमण्डी भी भरपूर । खासकर दो दो बेटा होने का।
बेटियों के बाप में उन्हें बहुत बुराई नजर आती थी। फूकन कहते बेटियों के बाप गुस्से में रहते हैं, उन्हें बीमारियां घेर लेती हैं। बेटियों के बाप खुद को हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कंधा देने वाला बेटा नहीं होता।
पढ़ें लिखे मूरख को इतना पता नहीं था कि बेटा -बेटी दोनों एक समान है, संविधान बराबर का हक देता है।
आखिरकार फूकन का घमंड एक दिन चकनाचूर हो गया जब दोनों बेटे बहुओं के साथ फ़ुर्र हो गये। अब क्या डिगे हांकने वाले फूकन का जीवन कठिन हो गया। अब वे कहने लगे थे काश एक बेटी अपनी भी होती जिसे दुनिया में आने ही नहीं दिये थे। अब असुरक्षा की तड़ित फूकन की दुनिया में फुफकार रही थी ?
नन्दलाल भारती
07/04/2023
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