Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बहन जी आयी है

 
सरप्राइज
अरे सुनो।
क्या सुना रही हो जी ।
तुम्हारी बहन जी आयी है।
कौन?
मझली बहन।
कहां है?
शहर में है,कल की आयी है। दस बजे तक आने वाली हैं। शहनाई बजवाओ ।
वाह मेरी बहन आयी है,वह भी कल की । अपने शहर में हैं, मुझे पता नहीं,हर मौके पर हम हाज़िर रहते हैं। सगी बहन,मेरे साथ सौतेला व्यवहार कर रही हैं।
देखो अपना बीपी मत बढ़ाओ। 
सुनो दरवाजे पर गाड़ी खड़ी हो रही है। शान्ति रखो। इतने में बाहर का दरवाजा खुला। बहनजी -जीजाजी सामने खड़े थे।
जलपान करते -करते बहनजी बोली भइया को सरप्राइज देना था। इतनी बड़ी सरप्राइज़ मत देना अब कभी। बहनजी चली गई,बहनजी की सरप्राइज से भाई को इतना भारी धक्का लगा भैय्या बेचारे अस्पताल की शरण में पहुंच गए।
नन्दलाल भारती
२६/०५/२०२४

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ