Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

लूटेरी बहू की मन्नत

 
लघुकथा: लूटेरी बहू की मन्नत/नन्दलाल भारती -प्रकाशनार्थ 
बड़ी बहू रुपवन्ती के ब्याह कर लाये आठ साल बीत चुके थे पर बहू थी कि आठ दिन भी ससुराल में सास-ससुर और परिवारजनों को चैन से न थी। परिवार के हर सदस्यों से नफ़रत करती इसके विपरीत पति दैवरुप को अपने नंगे प्यार प्रदर्शन से सम्मोहित कर  सिर में से जैसे जू निकाल कर देते हैं वैसे देवरूप से उसके बूढ़े मां-बाप को बाहर तड़प-तड़प कर मरने को फेंकना दी। इसके बाद पापिन बहू ने  दिया पति को लूटने का षणयन्त्र। भरने लगी लूटेरी 
पत्नी पीड़ित सम्पन्न पति होने लगा कंगाल,देवरुप के लूटेरे बहुरुपिया सास-ससुर बनने लगे धनवान । अब देवरुप फंस गया मुसीबत के जंजाल, उसे मुसीबत में आने लगे बूढ़े मां - बाप याद। देवरुप की जेब हो गई छेदों से तार-तार, सम्पन्नता लूट गयी,आ गया सड़क पर। इतनी हेराफेरी के बाद पति पर तनिक भी न आयी रहम।
लूटेरी पत्नी करने लगी पुलिस की मदद से ब्लैकमेल और तनख्वाह पर कब्जा लूटेरे मां - बाप मिटाने के लिए रुपए की भूख।ब्याह कर आते ही कर  चुकी थी बूढ़े सास-ससुर के मौत की मन्नत।
पत्नी पीड़ित करने लगता बहन-भाई और बूढ़े मां-बाप से फोन पर बात करने की कोशिश तो पहुंच जाता पापिन लूटेरी रुपवन्ती का पुलिस के पास फोन । आ धमकते पापिन रुपवन्ती से कमीशन खाने वाले दो पुलिस जवान करते देवरुप को परेशान। चल रहा था यही लूट का सिलसिला। मुसीबत के भंवरजाल में फंसा चिंताग्रस्त देवरूप घिर चुका था बीमारियों से भी। खुश थी पापिन रुपवन्ती कर लेगी एक करोड़ के जीवन बीमा की रकम  और नौकरी से मिलने वाले लाभ और सुविधाओं पर कब्जा । मर जायेगा पति और मर जायेंगे बूढ़े सास-ससुर हो जायेगा उनकी सम्पत्ति पर भी कब्जा।
ना मरे देवरुप के माता-पिता और न वह खुद,देवरुप को मिल रही थी भरपूर मां-बाप का शुभाशीष। दुनिया वाले कह रहे थे हाय रे कनपुरिया लूटेरे मां-बाप और उनकी लूटेरन बेटी।ना देना भगवान कभी किसी शरीफ इंसान को न देना रुपवन्ती जैसी लूटेरी बहू।     
नन्दलाल भारती 
१२/०५/२०२५

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ