मैं एक पेड़ बोल रहा हूँ l
हेलो......सुन रहे हो
मैं एक पेड़ बोल रहा हूँ
नहीं.... नहीं..सुन रहे हो ना
कत्ल का शोर मेरी चीख
ये कत्ल मेरा तुम्हारे लिए ढाठी है
जान लो..... चेतावनी है l
समझे मैं कौन हूँ........ एक पेड़ l
सोचो मैं नहीं रहा तो तुम्हारी औकात क्या होगी ?
ये शानो-शौकत जम जाएगी बर्फ जैसी
या पिघल जाएगी
ज्वालामुखी के लावा जैसी
हेलो सुन रहे हो ना
मैं एक पेड़ बोल रहा हूँ l
जानते हो
जीते लकड़ी मरते लड़की
तुम्हारी बुद्धि क्यों अकड़ी है
बेखौफ़ कत्ल कर रहा है
मेरा कत्ल तुम्हारा है
हेलो कान खोलकर सुन लो
ईंट पत्थरों का जंगल आदमी जोड़ रहे हो l
याद रखो मैं पेड़, तुम्हारा जीवन
मिट गया मैं जिस दिन
तुम कैसे टिकोगे उस दिन?
ना रहेगी कायनात ना बचेगा जीवन
हेलो मैं एक पेड़ बोल रहा हूँ l
हेलो सुन रहे हो
तुमसे कह रहा हूँ l
जानते मेरे कत्ल का आकड़ा
पंद्रह अरब हर साल का है दुनिया में
तुम्हारी आबादी से दुगुना
मेरा दर्द समझ रहे हो
मैं एक पेड़ बोल रहा हूँ l
क़त्ल होता रहा निरंतर
क्या बचेगा तुम्हारे जीने का अवसर
सोच लो
तुम्हारी सल्तनत का क्या होगा ?
कहाँ से लाओगे आक्सीजन
कैसे पचाओगे अपना उगला जहर
कैसे जी पाओगे ?
मेरे कत्ल का जश्न और कब तक ?
सांस भी नहीं ले पाओगे
मैं एक पेड़ हूँ,
सौ पुत्र समान हूँ l
बरगद, पीपल,जामुन, इमली, नीम लगाओ
हरियाली-खुशहाली के लिए बाग बगीचे उगाओ
बेटा-बेटी की तरह मुझे बचाओ
हेलो सुन रहे हो.....ना सुन लो
मैं एक पेड़ बोल रहा हूँ l
नन्दलाल भारती
20/12/2024
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