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यादों को भूला देते हैं

 
 यादों को भूला देते हैं
याद है कि भूल गए 
क्या याद रखूं क्या भूल जाऊं 
तुम्हीं बताओ क्या भूल गए 
तुम्हीं तो कहते हो लोग भूल जाते हैं 
यादें याद रह जाती है।
याद करो क्या भूल गए 
मोहतरमा दुखती यादों से बढ़ती है बेचैनी 
बेचैनी के बहुत नुकशान है 
कभी-कभी तो जान तक ख़तरे में जाती है 
भूली याद मत दिलाओ 
दिल रोता है बीपी बढ़ता है 
यह उपहार बहुत हद तक नेकी के बदले मिला है 
हिस्से का सुख हमने बांटा
भाई और उसके परिवार को पुत्रवत
बसन्त की छाया बना 
हर सुख दिया पढ़ाया-लिखाया कामयाब बनाया 
वही लक्ष्मण जैसा भाई,राम जैसे भाई  
जानकी जैसी माई को आंसू  दिया 
भतीजा-भतीजी ने एहसान के बदले घाव दिया 
भईया की अर्धांगिनी ने सुलगता दाग दिया 
तुम्हीं बताओ प्रिये
दुखती यादों के भरोसे कैसे जीयेंगे 
भूल जाओ सुलगती यादों को
खुद भूलो मुझे भी भूल जाने दो
आओ  दुखती-सुलगती भूला दें 
लोग एहसानों के बदले आंसू दिये 
रिश्ते को भूल गए 
तुम्हीं बताओ प्रिये,
हम ऐसी सुलगती यादों को 
क्यों याद रखें  ?
हम एहसान के बदले 
खंजर उतारने वाले को भूल जायें 
दुखती सुलगती डरावनी यादों के संग
कैसे जीयेंगे नहीं नहीं प्रिये
लोग कहते हैं कहने दो
लोग भूल जाते हैं यादें रह जाती हैं 
आओ हम लोगों ओर यादों को भूला देते हैं
अपने रची बगिया में वक्त गुजार लेते हैं।

नन्दलाल भारती 
२३/०९/२०२४

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