दहेज खोर
अकेले आ रही हो ससुराल से बीटिया ?
नहीं आंटी वो भी आये थे।
पहुना जी कहां है?
सड़क पर छोड़कर वापस घर चले गए।
क्या ?
हां आंटी।
क्यों बीटिया?
वे ससुराल नहीं आते।
ऐसी क्या खता कर दी तेरे मां-बाप ने? तुम्हारे दहेज को देखकर गांव वाले दंग रह गए थे। इसके बाद भी पहुना जी नाराज़ हैं क्या ?
सोनम नि: शब्द थी, उसकी पलकें बरसने वाली थी, इतने में सोनम की मम्मी ख्याली आ गई, बोली बहनजी अन्दर तो आइये।
नहीं.... नहीं ख्याली बहन जा रही हूं।बहू की तबीयत तनिक खराब है,रोटी -पानी करना है।
ख्याली -चाय पी कर जाओ कपिला दीदी।
चाय का टोटका तो पूरा करना पड़ेगा। कपिला चाय का घूंट लेते हुए पूछी-ख्याली बहन एक बात पूछूं पर सही-सही बताना, गोधुलि बेला है।कसम है तुम्हें झूठ मत बोलना।
पहुना जी क्यों नहीं आते? बीटिया तुम मायके अकेले आती-जाती हो। कोई बात है क्या ?
ख्याली आंसूओं को काबू करते हुए बोली-दमादजी को तिलक में तीन लाख रुपए और एक बढ़िया कार चाहिए।
ब्याह के बाद फिर दहेज?
दहेज तो मुसीबत का पहाड़ बन गया है ख्याली बोली।
उच्च शिक्षित बीटिया, छोला छाप डॉक्टर बाप का संविदा-नौकरी वाला बेटा पहुंना, नौकरी कब तक रहे कब छूट जाये, कोई भरोसा नहीं। दहेज की मांग खत्म ही नहीं हो रही। बाप रे कैसे-कैसे अमानुष दहेज खोर लोग हैं ?
नन्दलाल भारती
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