Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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:मुहब्बत

 
:मुहब्बत  

नागेंद्ररबाबू  का दफ्तर में पहला दिन था l वह ज्वाइनिंग लेटर टाइप मशीन पर टाइप कर दफ़्तर प्रमुख अशफाक खान साहब के कक्ष में उपस्थित हुआ  l अशफाक  साहब बड़ी गर्मजोशी के साथ गले लगा लिये  l स्वागत में तकरीरें पढ़ते हुए बोले अरे तुम खड़े क्यों हो बैठो नागेंद्र कहते हुए काल-बेल को दबा दिए lचपरासी  हाजिर हुआ l
साहब बोले -रईस मियां इनसे मिलो, ये नागेंद्र हैंl
जी जानता हूँ रईस बोला l
कैसे जानते हो मियां?
यह तो सबको पता है कि प्रशासन सहायक ज्वाइन करने वाले हैं, वह छाती तानकर बोला l उसको देखकर नागेंद्रबाबू को लगा यह कोई खिलाड़ी है, नागेंद्र के मन में ऐसी कुछ उधेड़बुन चल रही थी l तभी साहब बोले;
मियां पानी और  चाय पिलाओ, शक़्कर थोड़ी कम l
चाय पीने के बाद साहब बोले -नागेंद्र इसे  पहचान लो ये चंदमनी है l एकाउन्टेंट  है इस दफ्तर का सबसे पुराना कर्मचारी है l इस जोनल आफिस में बारह जिलेहैं l पूरे एरिया का   लेखा -जोखा यही रखता है l खैर बाद में सब समझ जाओगे l 
तुम्हारे बगल में बिबेक है, यह प्रोडक्ट की सेल्स बैलेंस का काम देखता है l इस दफ्तर में तुम्हारा काम वेलफेयर, एडमिनिस्ट्रेशन के साथ सेक्रेटरियल काम भी तुम्हारे जॉब एलोकेशन का हिस्सा है l
नागेंद्र पीछे देखो मोहम्मद रईस, अटेंडेंट हैl यह भी तुम्हारे इलाके का है l ड्राइवर बिपिन आ रहा है, हमें जरूरी काम से दौरे पर जाना है  चंदमनी नागेंद्र को इनका चैम्बर दिखा दो l काम भी समझा देना  साहब बोले l
रईस नागेंद्र साहब का टेबल, चेयर साफ कर दो चंदमनी बोला l
रामदुलारीबाई  सब साफ-सफाई करके गई है रईस तनिक कर्कश आवाज़ में बोलाl
मिस्टर रईस टेबल कुर्सी की साफ-सफाई तुम्हारा काम है चंदमनी बोला l
हाँ नागेंद्र भाई ये आपका चेम्बर है l गोदरेज टाइपराइटर, टैलेक्स मशीन भी लगी है l इन आलमारियों में  फाईल्स भरी  है l फाईल्स देख लेना l मदद के लिए रईस तो है ही, बस बेल बजा देना l बिबेक या मुझसे भी पूछ लेना,ठीक है अपना आफिस सम्भालो l मुझे अर्जेन्ट पेमेंट करना हैl मैं कर दूँl साहब दौरे पर जाने वाले हैंl अम्बेसडर में फुलटंकी पेट्रोल भरवाना है, चाहो तो ड्राइवर के साथ पेट्रोल पम्प जाकर पेट्रोल भरवा देना l   ड्राइवर बिपिन केपेट्रोल भरवाने के बाद  हफ्ता भर के दौरे पर निकल जायेंगे l
कुछ ही देर में साहब की गाड़ी  निकल गईl गाड़ी निकली ही थी कि रामदुलारीबाई आ गई l
क्यों तू कैसे रामदुलारी?
तेरा नाम मोहम्मद है तू आदमी से इतनी नफ़रत कैसे कर लेता है बूढ़ी रामदुलारीबाई बोली l
क्या बक रही है बुढ़िया?
तुम्हारी  माँ की उम्र की हूँ तूहीं बता कोई अपनी माँ से नफ़रत करता है क्या?
तू मेरी माँ कैसे हो सकती है l तू घर-घर झाड़ू-पोंछा  और लैट्रिन-बाथरूम की  सफाई करती हैl मेरी माँ बेगम है l 
बेगम साहिबा को मेरा सलाम कहना l इतने में  चंदमनी आ गया और बोला रामदुलारी क्यों चिल्ला रही हो l 
चंदमनीबाबू मोहम्मद मियां से पूछो? ना जाने क्यों जैसे कुत्ता  बिल्ली से बैर खाये रहता है, वैसे ही मोहम्मद मेरे पीछे पड़ा रहता है l मेरी पगार नहीं दिया, दिन भर दौड़ाता रहता है l बाबू और भी घरों में काम करती हूँ l मोहम्मद की बेगारी करती रहूंगी तो खाऊंगी क्या? मुंहफूकउने का नाम मोहम्मद तो है पर इसमें आदमी से मोहब्बत है परन्तु इसके दिल-दिमाग़ में  नफ़रत भरी रहती है l
अरे नहीं रामदुलारीबाई l नाराज नहीं होते पगार मिल जाएगी l आज नए साहब आ गए हैं l l बैठो सुस्ता लो बहुत धूप हैl पानी पीओ फिर अपने हाथ की चाय पिला देना चंदमनी बोला 
क्यों नहीं बचवा चाय बनाती हूँ l पगार कल ले लूंगी अम्मा बोली l
ठीक है रामदुलारीबाई l
रामदुलारीबाई चाय,चंदमनी को देकर lनागेंद्र के कमरे में गई चाय का कप टेबल पर रखते हुए बोली नमस्ते बाबूजी मै रामदुलारी बाईl
अम्मा नमस्ते नागेंद्र ऊपर चेहरा करके बोला l
जैसे ही अम्मा चाय लेकर मोहम्मद की तरफ बढ़ी वह बोला भंगन की जान पहचान हो गईl रामदुलारी गुस्से में तमतमा उठी और बोली भंगी तो तू है l मैं यदुवंशी हूँ l
मैं पठान हूँ मोहम्मद बोला l
वाह रे पठान l अपना देश पाठनों का किस युग में थाl यहाँ कृष्ण भगवान, राम भगवान,बुद्ध भगवान, महावीर भगवान  गुरुनानक ने अपनी धरती पर अवतार लिये और धरती चँवर वंशयदुवंश और मौर्यवंश  का साम्राज्य रही  है l तुम्हारे पठान कब प्रगट हुए थे, भारत भूमि पर तू पठान कैसा? पूर्वजों के बारे में खोजबीन कर लेना l इस्लाम राजा to आतंकवादियों की तरह आये थे, इतना तो मुझे भी मालूम है l   मुझे भी पढना लिखना आता है l मेरे तीनों बेटे अफसर हैं, चपरासी नहीं l मैं इसी भंगीगीरी से अपने बेटों को पढ़ा -लिखाकर अफसर बनाई हूँ, इसलिए यह काम मुझे प्यारा है l
तेरी जबान कैंची की तरह चलने लगी है मोहम्मद आँखे तररते हुए बोला l
तुमने मुझे रुलाया  है, याद कर बबुआ साल भर पहले इसी  आफिस के लैट्रिन बाथरूम की सफाई कर रहा था, जिसका पैसा लेता था l अब तू कम्पनी का दमाद बन गया है तो मैं भंगन हो गईमेरी बासी रोटी खाया, मेरी सिली गुडड़ी बिछाया-ओढ़ा आज पठान हो गया l पहले ये पठानगिरी कहाँ थी बबुआ l बाथरूम मैं साफ करती हूँ पैसा तू ले लेता है बड़ा पठान बन रहा है?
चुप भंगन  बुढ़िया मोहम्मद बोला l
तू कह रहा है मैं भंगन हूँ l तुमको पता है भंगी क्षत्रिय कुल से हैं l इनके वंशज इसी माटी में पैदा हुए है,कोई विदेशी नहीं हैं कहते हुए रामदुलारीबाई 
चंदमनी के कमरे में गई, मोहम्मद उसके पीछे-पीछे हो लिया l वह बोली चंदमनी बाबू कल से दफ्तर का काम मैं नहीं करूंगी?
क्यों रामदुलारीबाई?
मोहम्मद पैसा नहीं देता l बेइज्जत ऊपर से करता है ना जाने मुझसे नफ़रत क्यों करता रहता  है? नौकरी पक्की होते ही पठान बन गया है l पुराने पठान साहब के घर औरत-मर्द सब का  कपड़ा-धोता था l घर की साफ सफाई लैट्रिन बाथरूम की सफाई यही ना करता था?आज  मुझे भंगन कहकर गाली देता है l मेरे सामने रोता था, मैं आँसू पोंछती थी और अब मुझसे नफ़रत?
देखो ये नये साहब मुझे अम्मा कहकर बुलाते  हैं ये मोहम्मद भंगन कह रहा है l नये साहब मोहब्बत बो रहे है l ये मोहम्मद नफ़रत अम्मा आँचल में आंसू पोछते हुए बोली l
रामदुलारी अम्मा अब तुम्हारी पगार नागेंद्र साहब देंगे l
ये कौन हैं रामदुलारी पूछी?
अरे रामदुलारी अम्मा नए साहब चंदमनी बताया l
अभी तो जा रही हूँ, बुढऊ को दवाखाने ले जाऊँगी l कल नये साहब से बात करूंगी रामदुलारी बोली l
अम्मा पैसे की जरूरत है तो मैं दे देता हूँ, पगार मिल जाएगी तो वापस कर देना चंदमनी बोला l
पैसा है बाबू अब मैं जाती हूँ l
ठीक है रामदुलारी अम्मा जाओ l दादा की तबियत देखो कोई जरूरत हो तो बता देना l
हाँ बाबू कहते हुए अम्मा सरपट घर की ओर चल पड़ी l
रामदुलारी बहुत पुरानी और विश्वासपात्र भी l दफ्तर की एक कुंजी उसके पास होती थी l चपरासी के आने से पहले सब काम कर चली जाती थी l कभी एक भी पैसे का सामान इधर से उधर नहीं होता था l
दूसरे दिन सुबह साढ़े नौ  बजे नागेंद्र आफिस आ गया l दफ्तर खुला था l मोहम्मद के आने का कोई सबूत  नहीं दिखाई दे रहा था l वह गेट के बाहर से आवाज़ लगाया अंदर कौन है?
रामदुलारीबाई हाथ में झाड़ू लिए सामने l
अम्मा तुम नागेंद्र बोला l
हाँ बाबूजी मैं रामदुलारी बोली l
मोहम्मद?
साढ़े दस बजे तक आएगा l मेरा रोज का यही टाईम है l झाड़ू-पोंछा, बर्तन कर, दूध लाती हूँ, गर्म करती हूँ l इस बगीचे की निराई-गुड़ाई कर पानी डालकर चली जाती हूँ l पगार तो मिलती सब काम की पर बर्तन और लैट्रिन बाथरूम की सफाई का पैसा चपरासी मार लेता है अम्मा बोली l
अब पूरे पैसे मिलेंगे अम्मा l बड़े साहब से बात कर पगार भी बढ़वाऊंगा, चिंता मत करो अम्मा l
बाबूजी आपका आफिस साफ कर, टेबल कुर्सी सब झाड़-पोंछ कर  दी हूँ, आप बैठो l बर्तन साफ कर आपके लिए चाय बनाती हूँ l
अम्मा चाय रहने दीजिये l काम कर लीजिए l मोहम्मद आकर चाय बनाएगा l
पानी वाली चाय मिलेगी तब?वह आते ही गर्म दूध एक गिलास पीयेगा l दूध में दो गिलास पानी मिलाएगा,साढ़े ग्यारह  बजे चाय बनेगी l अच्छी चाय बनाऊंगी बाबूजी l
अच्छा अम्मा नागेंद्र बोला l
रामदुलारीबाई ट्रे  में चाय पानी लेकर नागेंद्रबाबू के कमरे की तरफ बढ़ी ही थी कि चंदमनी आ गयाl वह बोली साहब आपके लिए चाय बनी है l बैठिये चाय पानी लेकर आती हूँ l अरे वाह रामदुलारीबाई तुम कितना ध्यान रखती हो?
आप लोग साहब-सुब्बा भले ही है l हैं तो मेरे बच्चों से भी छोटी उम्र के l बड़े  साहब मेरे बड़े बेटे से एक दो साल बड़े  होंगे बस इतना ही l बच्चों का ख्याल माँ ही रखेगी और कौन रखेगा बेटवा चंदमनी बाबू?
मोहम्मद अभी तक नहीं आया क्या चंदमनी पूछा?
बाबू आज शुक्रवार है अम्मा बोली l
आज लंच के बाद छोटे मियां  लौटेंगे l रामदुलारीअम्मा मेरी भी चाय नागेंद्र बाबू  की तरफ ला दो चंदमनी बोला  l
चंदमनी के सामने चाय-पानी रखते हुए रामदुलारीबाई बोली चंदमनी बाबू चाहे तो अम्मा बोला करो या रामदुलारीबाई मुझे कोई इतराज नहीं होगा l
चलो आज से बस अम्माl अब खुश  चंदमनी बोला l
बेटवा मैं कभी न  दुखी  हुई न नाराज l भला अपने बच्चों से कोई माँ नाराज होती है क्या रामदुलारीबाई बोली?
नागेंद्रबाबू अम्मा की पगार दे देनाl जाओ अम्मा चाय पीओ  चंदमनी बोला l
कितनी पगार अम्मा को मिलती है l दिन भर तो आफिस का चक्कर काटती रहती है नागेंद्र l
साढ़े पांच सौ मिलते हैं पर अम्मा की शिकायत रहती है कि साढ़े चार सौ कम है चंदमनी बोला l
साढ़े पांच सौ की जगह साढ़े चार सौ अम्मा को कैसे नागेंद्र अचम्भीत होकर पूछा?
बीच में कोई बड़ा पेट वाला डकार जाता है l अम्मा के हाथ में ही पगार देना है l दो घंटे के काम की जगह दिन भर दफ्तर का चक्कर लगाती रहती है l अम्मा को तो और अधिक पगार मिलना चाहिए था परन्तु जो मिल रहा है l बाप रे हर जगह घूसखोरी नागेंद्र माथा ठोंकते हुए बोला l
मुझे भी कल ही मालूम पड़ा है l इसलिए तरीका ही बदल दो चंदमनी सुझाया l
बिल्कुल सही l ऐसा ही होगा l साहब से बात कीजिए l अम्मा के काम को देखते हुए पगार कम है, जो मिलती है उसमे भी बिचौलिया l चंदमनी साहब अम्मा की पगार तो बढ़ाना चाहिए l बेचारी चपरासी का काम भी तो करती है नागेंद्र बोला l
बात तो ठीक है, झाड़ू-पोंछा का तो घरों का रेट  साढ़े चार  सौ है l अम्मा, बाथरूम  और गार्डन का  भी तो कर रही है चंदमनी बोला l
साढ़े चार  सौ झाड़ू-पोंछा,दो सौ गार्डेन, बाथरूम का सौ रूपये   और सौ बर्तन, कुल मिलाकर अम्मा को आठ सौ तो मिलना चाहिए नागेंद्र बोला l
अभी तो आप पुराना पेमेंट कर दो l साहब से बात करके अगले महीने से बढा  देना l
पेमेंट नोट बनाकर मुझे दो अम्मा की पगार दे देता हूँ चंदमनी बोला l
तुरंत ले लो अम्मा नागेंद्र बोला l वह पेमेंट बाउचर बनाकर, अम्मा के हाथ चंदमनी के पास भेज दिया l
अम्मा पूरी पगार के साथ पगार बढ़ाने की खबर से बहुत ख़ुश हुई l वह कम्पनी को दुआएं देती हुई नागेंद्र के कमरे में गई और बोली बाबूजी मैं चलती हूँ l
जरूरी काम नहीं हो तो अम्मा  बैठ जाओ l
बाबू बर्तन, झाड़ू पोंछा का काम कर चुकी हूँ, बगीचे के कई बंगलो के  काम है l सूरज डूबने तक करती हूँ, फिर सुबह l बाबूजी प्रेम से कह रहे हो तनिक बैठ लेती हूँ कहते हुए अम्मा फर्श पर बैठने लगी l
अम्मा कुर्सी पर बैठो नीचे क्यों नागेंद्र बोला?
नागेंद्र बाबू की बात सुनकर अम्मा गदगद हो गई l वह पूछी बाबूजी कौन से देश के हो? दक्षिण भारतीय हो या उत्तर l
अम्मा उत्तर प्रदेश से हूँ नागेंद्र बोला l
कौन जिला के हो बाबू जी?
आज़मगढ़ l
मैं बरेली की हूँ l वही  बरेली जिस बरेली की बाजार में झुमका गिरा था l बाबू जी है ना वो गाना झुमका गिरा रे बरेली की बाजार में l वहीं से हूँ अम्मा बोली l
अम्मा इतना खुश कैसे रह लेती हो?
बाबू खुले दिल की अपनी मौज है l ऐसी मौज नफ़रत  में कहाँ? अपनी मेहनत की खाती हूँ l तीनों बेटवा सरकारी नौकरी में हैं l बंगलो की सेवा करते करते तीनों को नौकरी लगवा दी l जीवन भर अकेले रहूंगी l बाबूजी  मोहम्मद भी आज़मगढ़ का हैl
अम्मा मोहम्मद से अभी कोई बातचीत नहीं हुई है l
बाबू वह दिल का बहुत काला है l खुद को असली पठान कहता है l मुझे भंगन कहता है l लगता है, सिकंदर लोदी की औलाद है l बाभन और इस्लाम देश में मुट्ठी भर आये थे l एक धर्म बढ़ाने और दूसरा जनसंख्या बढ़ाने में लगा हुआ हैं l एक परजीवी  पोथी पतरा का भ्रम फैलाकर देश को धर्मवाद और जातिवाद के अघोषित युद्ध में झोंक कर खुद मलाई खा रहा है अम्मा बोली l
तुम ये सब कैसे जानती हो अम्मा नागेंद्र पूछा?
अम्मा हंसते हुए बोली मोहम्मद आठवीं फेल है l मैं चौथी पास इतना पढ़ने और समझने के लिए काफ़ी है बाबूजी l
वाह अम्मा तुम तो इतिहासकार हो l
बाबूजी अपने देश में छुआछूत और गुलामी के माता-पिता विदेशी मुसलमान आतंकवादी राजाओं  और विदेशी बाभन हैं l
अम्मा तुम्हारा तो लेक्चर होना चाहिए l तुम झाड़ू-पोंछा में कैसे फंस गयी?
बाबूजी लम्बी कहानी है,कहते है ना जो होता है अच्छे के लिए होता है l आप से मुलाक़ात होनी थी l बाबू जी लंका वाले रावण को जानते नहीं l हमारे देश में पूरी रामायण चलती है l रावण दहन होता है l महीनों तक रामलीला होती है lझूठ परोसना विदेशी परजीविओं को अच्छी तरह आता है l ए आदमियत के दुश्मन  आँख में मिर्च झोकने में भी माहिर होते हैं l  भगवान के नाम लूट और पोथी पतरा इनके हथियार हैl महाबली राजा भस्मासुर कितने  बड़ा राजा थे  l उन्हीं  का बसाया मैसूर है, कहते हैं वह भी अहीर कुल से थे पर विदेशी आतंकवादियों  की साजिशे  ले डूबीl वेद और भेद परजीवी मानसिकता की उपज है l इन्हीं की साजिशों की वजह से  देश गुलामी की जंजीर में जकड़ गया l देश के  अस्सी फीसदी मूलनिवासी इसी साजिश के  शिकार हैं, उसी में से एक मैं भी हूँ बाबूजी  l
वाह अम्मा तुम चलती फिरती लाइब्रेरी हो l
बाबूजी अब ये लाइब्रेरी जायेगी l
हाँ जाओ काम कर लो l तुमसे बात कर लगा अम्मा तुम मेरी माँ जैसी हो  l नागेंद्र की बात सुनकर अम्मा की पलकें गीली हो गई वह बोली बेटवा ख़ुशी के आंसू हैं l किसी और बंगले के गार्डेन का  काम करने के लिए अम्मा हाथ में कटर और खुरपी ली और पैर आगे बढ़ाई ही थी कि मोहम्मद कुर्ता पायजामा सिर पर टोपी पहने पूरे कठमुल्ले की तरह् आया  और बोला अरे भंगनबाई अभी तक  यहां क्या कर रही हो?
नफ़रत की पाठशाला गये थे क्या मियां? वह जोर से बोली लो चंदमनी बाबू बड़ा भंगी आ गया कहते हुए अम्मा आगे बढ़ गयी l मोहम्मद रईस  की आँखे फटी की फटी रह गई l
चंदमनी पूछा मोहम्मद कहाँ गायब थे? तुम्हारी ड्यूटी साढ़े नौ बजे शुरू होती है? तुम आ रहे हो दो बजे l दो बज गए है, हाफ डे लिव एप्लिकेशन दे देना?
शुक्रवार है आज?
तो छुट्टी तो नहीं है चंदमनी बोला l
मैं ऐसे ही आऊंगा मोहम्मद 
ज़ोनल मैनेजर भी इस्लाम को मानते है? वे रेगुलर नहीं जाते हैं l जाते भी हैं तो आधा घंटा में आ जाते हैं l साढ़े नौ बजे से अभी तक शुक्रवार सेलिब्रेट कर रहे थे l मैमूर पठान साहब तो कभी नहीं गए चंदमनी बोला l
काफिरों की बात मैं नहीं करता l
छुट्टी का आवेदन दे देना l मैं बड़े साहब से बात कर लूंगा l एक तो बिना काम के तनख्वाह ले रहे हो ऊपर से धौन्स l बेचारी रामदुलारी आने-जाने वालों को चाय पानी पिला रही है l अटेंडेंट साहब बन शुक्रवार का दौरा कर रहे हैं l
चंदमनी साहब और नहीं? वह अंगुली दिखाते हुए बोला l
मुंहफ्ट से कौन बहस करे? चंदमनी अपने काम में और चपरासी सरकारी फोन का कान घुमाने में लग गया l
सोमवार दस बजे मोहम्मद आफिस पहुँचा l दफ्तर के लोग अपने काम में व्यस्त थे l वह पेंट्री में गया, कुछ देर के बाद चंदमनी से पूछा चाय बनाऊं क्या?
पानी पिलाओगे क्या? गिलास जूठा नहीं होना चाहिए?
बिबेक को चाय, पानी देने के बाद बाकी लोगों को चाय और माँगने पर ही पानी देता था l वह आखिर में दोनों हाथ में चाय का कप लिए  नागेंद्र के कमरे में दाखिल हुआ l एक कप चाय नागेंद्र के सामने रखा, दूसरी खुद  कुर्सी पर बैठा  दूसरी कुर्सी पर टांग फैलाते हुए पूछा कहाँ के हो नागेंद्र?
उत्तर प्रदेश l
जिला कोई है क्या? ज्यादातर वही से हैं l जी.एम. साहब  मेरे जिले से है l तुम्हारा कौन सा जिला है?
क्या बोल रहे हो मोहम्मद रईस?
अंग्रेजी में बोला क्या? कौन से जिले के हो तुम ?
तमीज से बोला करो l तुम्हारा टोला-महल्ला नहीं है l वैसे मां आजमगढ़ से हूँ l मिल गयी जानकारी l कप उठाओ और जाओ l मुझे काम करने दो l
नये-नये मुल्ला हो?
मैं मुल्ला नहीं कम्पनी का जिम्मेदार एम्प्लाई हूँ l
ये भी तो बता दो कौन से जात हो?
मुसलमान तो हो नहीं हूँl कर्मयोगी हूँ, जात में नहीं कर्म में विश्वास करता हूँ l
बहुत लेक्चर पेल रहे हो? चमार हो क्या?
जानते हो चमार कौन होते हैं?
तुम्ही बता दो मोहम्मद बड़े रूआब में पूछा l
क्षत्रिय होते हैं l तुम्हारे विदेशी आक्रमणकारियों  और विदेशी युरेशियन ने साजिश रचकर हमारे पुरखे राजाओं महाराजाओं के साम्राज्य पर कब्जा कर लिया l इन्हीं दुश्मनों ने गंदे कामों लगा दिया l तुम्हारे विदेशी पुरखे सिकंदर लोदी ने चमार कह कर गालियां दिया l एक संवृद्ध और क्षत्रिय  समुदाय को दुश्मनों के अत्याचार ने चमार बना दिया  l आज डेढ़ सौ से अधिक जातियों में बंटा यह समुदाय l देश-दुनिया में  तरक्की के आसमान छू रहा हैl और कुछ पूछना, बाहर जाओ l
मोहम्मद  चिल्लाया अरे बिबेक साहब सुनो आफिस में चमार आ गया l दफ्तर में मोहम्मद रईस  भूचाल खड़ा कर दिया l तुरंत प्रभाव से मोहम्मद रईस ने चाय-पानी देना बंद कर दिया l बिबेक ने भरपूर मोहम्मद का साथ दिया और नागेंद्रबाबू का विरोधी बन गया l मोहम्मद ने पूरे बारह जिले के फील्डआफिसर्स को सरकारी फोन से  फोन कर चमार आ गया, चमार आ गया की खबर फैला  l कुछ लोग नौकरी से निकलवाने की भी कोशिश किये l 
नागेंद्रबाबू हिंदुजातिवादियों का विषपान तो बहुत नजदीक से किया था पर एक गैरहिन्दू का घोरजातिवादी होना बहुत परेशान कर रहा था l वह बहुत बाथरूम रोया भी l बाथरूम में  लिया कि  वह इस मुसीबत से मुंह नहीं मोड़ेगाl सम्मान के लिए आवाज़ उठाएगा l नागेंद्र ने जल्दी-बाजी में नहीं होशियारी से आगे बढ़ने के लिए ज़ोनल मैनेजर अशफाक साहब के आने का इंतजार किया l
अशफाक साहब दौरा समाप्त कर आफिस आयेl आते ही नागेंद्र को बुलायेl तुरंत बाद चंदमनी भी आ गया l
अशफाक साहब बोले चंदमनी जानते हो मैं बहुत खुश हूँ? और  क्यों हूँ?
तारगेट पूरा हो गया साहब चंदमनी बोला?
नहीं भाई तारगेट पूरा होने से भी बड़ी ख़ुशी की बात ये है कि मेरे आफिस में कर्मठ और वफ़ादार नागेंद्र ने ज्वाइन किया हैl मैं तो सात दिन की नागेंद्र की परफार्मेन्स से बहुत खुश हूँ l बेटा अपनी कार्यशैली  से समझौता नहीं करना,ज़ोनल मैनेजर अशफाक साहब बोले l
साहब सात दिन में इसने सात जन्म का नरक भोग लिया चंदमनी बोला l
क्या? कैसे?
जातिवाद और छुआछूत से l
कौन है वह शैतान जो नफ़रत फैला रहा है?
मोहम्मद रईस?
मियां की इतनी हिम्मत?
कालबेल पर हाथ गया l
मोहम्मद आया?
तिलकधारी हो गए हो क्या? पोथी बांच रहे हो? आधा घंटा हो गया l बाहर नहीं निकले लि  चाय बनाओ सबके लिए गिलास धो-साफ कर पानी लाना l सुना है जूठे गिलास से पानी पिलाता है l
मोहम्मद पानी लाया l सभी को दिया पर नागेंद्रबाबू को नहीं दिया l
साहब बोले नागेंद्र के लिए?
साहब आने से पहले वाटरकूलर से पानी पीकर आया हूँ l
मियां की नौकरी लोगे क्या?
साहब के चैम्बऱ में सन्नाटा पसर गया l दस मिनट के बाद मोहम्मद चाय लेकर l चाय भी नागेंद्र को नहीं l
नागेंद्रबाबू अभी चाय तो नहीं पीकर आये हो साहब बोले?
मोहम्मद नागेंद्र को चाय पानी नहीं देता चंदमनी बोला l
क्यों?
मोहम्मद कहता है, चमार-भंगी को चाय पानी नहीं पिलाऊंगा लि मेरे उसूल के खिलाफ ha चंदमनी बताया l
कालबेल फिर  घनघना उठी?
नागेंद्र साहब की चाय?
पेंट्री में रखी है जाकर ले ले मोहम्मद बोला l
नौकरी छोड़ने के साथ जेल भी जाना पड़ेगा l याद कर लो कुछ महीने पहले इसी नौकरी के लिए झाड़ू-पोंछा किये,लैट्रिन और कपड़े भी धोये हो l सोच लो मियां कहते हुए बोले नागेंद्र बाबू लिखित में दो l
इतने में चाय हाजिर l
मियां माफ़ी मांगो पूरे आफिस के सामने तुरंत  वरना क्विट............साहब बोले l
मोहम्मद के लिये उल्टे जूता पर थूक कर चाटने जैसा था परन्तु किया l
साहब बोले नागेंद्र माफ कर दो l इस तरह की नफ़रत फैलाकर   मियां तू इस्लाम को खतरे में डाल  देगा l इस्लाम मोहब्बत का समर्थन करता है, नफ़रत का नहीं  l माफ कर दो नागेंद्र!
साहब आपका आदेश मान्य है l तीन साल बाद अशफाक साहब का स्थानांतरण हो गया इस बीच भी मोहम्मद का आचरण नहीं सुधरा, उसकी नागेंद्र के विरुद्ध साजिशे जारी थी l  बिबेक का समर्थन था l कहते हैं ना कुत्ते की पूँछ सीधी नहीं हो सकती, मोहम्मद का स्वभाव ऐसा ही थाl वह खुद को उच्चकोटि का मुसलमान समझता था, कुछ मुसलमान कम्युनिटी की बुराइयाँ भी बड़ी बारीकी से करता था l 
जातिवाद का दंश नहीं गया लि कई ज़ोनल मैनेजर आये-गए पर अशफाक साहब जैसा कोई नहीं l नागेंद्र पदोन्नति और सम्मान के लिए तरसता रह गया l
नौकरी की ढलती उम्र में नागेंद्र की योग्यता और अनुभव काम आया l वह  आफिसर  बन तो   गया पर इसके बदले वनवास मिल गया l नागेंद्र का स्थानांतरण प्रोडक्सन यूनिट  पर हो गया जहाँ बारह सौ पंद्रह सौ लोग काम करते थे l
दुर्भाग्यवश  मोहम्मद चपरासी भी  पदोन्नति पाकर वहीं  प्रोडक्शन यूनिट  पर बतौर गेटकीपर स्थानांतरित हो गया था l मोहम्मद की ड्यूटी अक्सर मेनगेट पर होती l मेनगेट से आफिसर्स और वर्कर आते जाते रहते थे l किसी अफसर की गाड़ी जैसे मेनगेट पर आती वह सल्यूट मारता और गेट खोलता,बंद करता l यह प्रक्रिया चौबीसों घंटे  चलती रहती थी,मेनगेट पर दो गेटकीपर जवान मुस्तैदी से तैनात रहते थे l ड्यूटी आठ घंटे की होती थी, हर आठ घंटे में बदलती  रहती थी l
नागेंद्र के साईट आफिस पर ज्वाइन की खबर सभी को लग गयी l मोहम्मद को भी,वह चपरासी से पदोन्नति पाकर  गेटकीपर जवान तो बन गया था पर समय  के साथ उसकी नफ़रत और बढ़ गयी थी l 
नागेंद्र की गाड़ी जैसे ही गेट के करीब आती वह कार की नम्बर प्लेट पर एमपीजीरो नाइन देखते ही  नफ़रत की आग में उबल जाता l वह तुरंत मुंह मोड़ लेता था, दूसरा गेटकीपर प्रक्रिया पूरी करता l नागेंद्र बाबू का पूरी प्रोडक्शन साइड और आफिस में मान-सम्मान तो था लि
गैरहिन्दू  मोहम्मद की नजरों में नागेंद्र के प्रति नफरत के शोले भभकते रहते थे l लम्बी सेवा के बाद  नागेंद्र बाबू आफिसर के पद से रिटायर्ड हो गएl चौतीस साल के लम्बे श्रम की मंडी में नागेंद्रबाबू को हिन्दू, मुसलमान,सिक्ख धर्मावलम्बी,मैनेजर से लेकर  चीफ जनरल मैनेजर के साथ काम करने का अवसर मिला परन्तु  मिस्टर अशफाक अहमद खान जैसा कोई  समतावादी अधिकारी नहीं मिला, दूसरे मोहम्मद रईस जैसा नफ़रतवादी  l
नागेंद्र बाबू नफ़रत की जगह  मोहब्बत के शब्द बीज बोते-बोते रिटायर्ड हो गए परन्तु जातीय  नफ़रत रूपी   तेजाब की दरिया में डूबते-उतिरियाते रहे पर  हार नहीं माने l नफ़रत पर मुहब्बत है भारी,यही चरितार्थ करने में आदमियत के दीवाने  नागेंद्रबाबू मुहब्बत के जुगनू जलानें मन से लगे रहे l सच क्या खूब किसी  किसी ने लिखा  है;
रुकशत जो हो जाये, लोचन कभी नम ना हो l
प्रणय गरल हम पी गए, नफ़रत तुम्हारी कम ना हो l 
जग को भी मालूम चले, मुहब्बत कितनी प्यारी है l 
लाख चला दे खंजर पर, नफ़रत पे मुहब्बत भारी है l 
नन्दलाल भारती 
15/11/2024






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