Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नाना की जेल

 
नाना की जेल
लाल साहब तुम्हारा पौत्र स्कूल जाता है?
जी नन्देश्वर जी,  केजी -टू में है।
लाल साहब संस्कार तो बिल्कुल पारिवारिक है,कमाल के लक्षण दिखाई दे रहें हैं।दादा का नाम रोशन करेगा।
नन्देश्वर -दोस्त तुम्हारे कुलभूषण कैसे हैं ? मुलाकात हुई थी?
हां लाल साहब जेलर साहिबा ने बाप बेटे को कुछ देर की मोहलत सात साल के बाद दी तो थी। बीटिया के घर राखी हंसी- खुशी मन गई,भले ही कुछ घंटे की मोहलत थी पर सात साल के बिछुड़न के बाद भाई-बहन के बीच स्नेह की बयार तो चल पड़ी, भगवान करें दुश्मन अंगुलीमाल की तरह बदल जायें।
बधाई नन्देश्वर?
मेरा कुलभूषण नहीं जाना चाह रहा था जाते समय तो रोने लगा पर बाप के सामने मजबूरी थी, पुलिस आ धमकती । बाप-बेटे रोते हुए चले गए, पत्नी पीड़ित मजबूर था,नन्देश्वर बोले।
यह भी बड़ी खुशी है। सात साल से सूनी कलाई पर बहन की राखी तो सजी ? लाल साहब बोले।
अद्भुत सुख लाल साहब। कनपुरिया नाना-नानी ने जो लूट का चक्रव्यूह रचा है वह टूटेगा मेरा कुलभूषण कंस नाना और डायन मां का घमंड चूर चूर करेगा। 
बिल्कुल करेगा, अपने बाप की कमाई के पैसे-पैसे की लूट का हिसाब ठग नाना-नानी  की जेल तोड़कर बात -बात पर लात मारने वाली जेलर मां से मुक्त होगा लाल साहब माथा ठोकते हुए बोले,तुम अपने कमासूत बेटे का बिना दहेज के ब्याह क्या कर    लिये रिश्ते के दुश्मन तुम्हारी किडनी ही नोंच-नोंच कर उखाड़ लिए।
बाप, बाप के सपनों में रंग तो नहीं भर पाया, उम्मीद है पोता सपनों के लूटेरे कनपुरिया नाना की जेल तोड़कर कर दादा-दादी के सपनों में  रंग जरुर भरेगा।
बधाई नन्देश्वर, तुम्हारा परिवार पूरी तरह संगठित होकर तरक्की के पथ पर पुनः दौड़ पड़े मंगलकामनाएं दोस्त!
नन्दलाल भारती 
२०/०८/२०२४ 

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