लघुकथा:श्राप
पार्वती बड़ी बहू कहा है ?
अम्मा जले पर नमक रगड़ रही हो? सब कुछ जानकर अनजान क्यों बन रही हो ? मायके छोड़ आये कब तक उसका अत्याचार सहते ? कब तक खानदान की इज्जत नुचवाते ?
अब फिर कभी मत लाना। कभी खाने मे जहर मिलाकर ठग मां-बाप की बेटी बड़ा संहार कर सकती है। झूठे पूरे गांव मे इज्ज़त उछाल दी चौराहे पर खड़ी होकर चिल्ला रही थी देखो दुनिया वाले घर भर मिलकर मार रहे हैं, पुलिस बुला रही थी। भगवान ऐसी पागल बहू किसी को न दे देवकी अम्मा चश्मा सम्भालते हुए बोली ।
क्या गुनाह किया बिना दहेज की शादी किया।कंचन के बाप पानी की तरह पैसा खर्च किए।बहू को बेटी का दर्जा दिया, सारी सुख-सुविधाएं दिया सभी लोगों ने परिवार की बड़ी बहू होने के नाते सिर पर बिठाया पर वही बड़ी बहू ने क्या सिला दिया,शहर से गांव तक नाक कटवा दी पार्वती बोली ।
पागल बहू तुम्हारे परिवार की नाक नहीं कटवाई है, अपने मां-बाप कुटुम्ब की नाक काट रही है अम्मा बोली।
अम्मा ठगों की नाक होती तो ये हादसा नहीं होती।ठगों ने ना जाने ऐसा कौन सा जादू कर दिया कि पागल लड़की बहू बनकर घर मे घुस आई ।अब अपने पति का उत्पीड़न कर रही है। परिवार का जीवन नरक बना रही है।
पागल लड़की अपना जीवन नरक बना रही है। भरी थाली मे लात मार रही है। इस घर से निकलने के बाद कभी उसे घर परिवार का सुख नहीं मिलेगा और नहीं उसके ठग मां-बाप को बहू का सुख।
हम तो ना जाने किस श्राप की सजा भुगत रहे हैं।अम्मा श्राप मत दो।प्रार्थना करो भगवान ठग की बेटी को सद्बुद्धि दे और हमारे घर परिवार मे सुख-शान्ति ।
डां नन्द लाल भारती
02/04/2022
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