Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अपना प्यारा गाँव

 

न्याय - धर्म का पाठ पढ़ाता ,
प्यारा अपना गाँव ।
गुणी जनों का है पग धरता ,
ऐसा अपना गाँव ।।

 

अलग-अलग हैं जाति-धर्म पर ,
हैं आपस में एक ।
सबके अपनें कर्म अलग हैं ,
फिर भी हैं हम एक ।।
दुःख में सब मतभेद भुलाकर ।
एक हो जाता गाँव ।।1।।

 

बहती हैं यहाँ प्रेम की धारा ,
मन में कहीं न द्वेष ।
कर्म को ही हम मानें पूजा ,
हम सबका एक भेष ।।
भावी पीढ़ी को मार्ग दिखाता ।
ऐसा प्यारा गाँव ।।2।।

 

 

 

 

" अजब सलोना गाँव "
---------------------------
अजब सलोना,सबसे प्यारा,
गाँव हमारा भाई ।
मस्त मगन हो पक्षी नभ में ,
उड़ रहे हैं भाई ।।

 

हरी घास है मखमल जैसी,
चहुँ दिशा में हरियाली ।
चहक रही है डाल-डाल पर,
कोयल काली-काली ।।

 

 

डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ