दो अक्षर का नाम वह ,
कहलाता है फूल ।
खिलखिलाते देख उसे ,
मन जाता है भूल ।।1।।
तितली-भौंरे आ जाते हैं ,
इनसे नित बतियानें ।
मुफ़्त सभी को देते खुशबू ,
करते नहीं बहानें ।।2।।
इसी तरह से जो हरदम ,
दूसरों पर प्यार लुटाते ।
सच मानों वह सारे जग में ,
सम्मान सदा ही पाते ।।3।।
डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प
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