Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फूल

 

दो अक्षर का नाम वह ,
कहलाता है फूल ।
खिलखिलाते देख उसे ,
मन जाता है भूल ।।1।।

 

 

तितली-भौंरे आ जाते हैं ,
इनसे नित बतियानें ।
मुफ़्त सभी को देते खुशबू ,
करते नहीं बहानें ।।2।।

 

 

इसी तरह से जो हरदम ,
दूसरों पर प्यार लुटाते ।
सच मानों वह सारे जग में ,
सम्मान सदा ही पाते ।।3।।

 

 

डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प

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