Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

हिमगिरि

 

 

हिमगिरि के तुंग चोटी ,
उच्चकांक्षाओं की पहचान ।
मृदु स्निग्ध गोदी में पलें हैं ,
ताल-तलैया , खेत-खलियान ।।1।।

 

 

ऋषियों का है तपोस्थली ,
ऋद्धि-सिद्धियाँ बटती महान ।
जगती जड़ी बुटियों के ,
यहाँ अद्भुत सी खान ।।

 

 

पुष्पों के सुरभित खुशबू से ,
लगता नव जहान ।
हिमगिरि के तुंग चोटी ,
उच्चकांक्षाओं की पहचान ।।

 

 

डॉ. प्रमोद सोनवानी ‘पुष्प’

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ