हिमगिरि के तुंग चोटी ,
उच्चकांक्षाओं की पहचान ।
मृदु स्निग्ध गोदी में पलें हैं ,
ताल-तलैया , खेत-खलियान ।।1।।
ऋषियों का है तपोस्थली ,
ऋद्धि-सिद्धियाँ बटती महान ।
जगती जड़ी बुटियों के ,
यहाँ अद्भुत सी खान ।।
पुष्पों के सुरभित खुशबू से ,
लगता नव जहान ।
हिमगिरि के तुंग चोटी ,
उच्चकांक्षाओं की पहचान ।।
डॉ. प्रमोद सोनवानी ‘पुष्प’
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